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हिमाचल की शिक्षा पर उठे सवाल, HPU की गिरती रैंकिंग पर मचा बवाल

डेस्क |

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय (एचपीयू) शिमला देश भर के टॉप 200 विश्वविद्यालयों में भी शामिल नहीं हो पाया। एचपीयू का बीते वर्ष का रैंक 169 था। वहीं आईआईटी मंडी पिछले साल से 10 स्थान फिसलकर 41वें स्थान पर रहा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क 2021 जारी की। देश के टॉप सौ विश्वविद्यालयों में प्रदेश का शूलिनी विश्वविद्यालय शामिल हुआ है। नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ्रेमवर्क (एनआईआरएफ) 2021 की ओवरआल और इंजीनियरिंग श्रेणी में आईआईटी मंडी की रैंकिंग लुढ़क गई है। शूलिनी विश्वविद्यालय सोलन ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए तीन श्रेणियों में पायदान चढ़े हैं। इंजीनियरिंग और आर्किटेक्चर की श्रेणी में एनआईटी हमीरपुर की रैंकिंग में कमी आई है। मैनेजमेंट, लॉ, मेडिकल और कॉलेज श्रेणी में प्रदेश को कोई संस्थान शामिल नहीं हुआ है। आईआईटी मंडी इंजीनियरिंग श्रेणी में दस पायदान लुढ़ककर 52.58 स्कोर के साथ देश भर में 41वें रैंक पर पहुंच गया।

वर्ष 2020 में 54.17 स्कोर के साथ इसकी रैंकिंग 31वीं थी। ओवरआल श्रेणी में 15 पायदान लुढ़ककर आईआईटी मंडी 67वें से 82वें नंबर पर पहुंच गया। ओवरआल रैंकिंग में 43.93 स्कोर रहा। बीते वर्ष इसका स्कोर 46.56 था। विश्वविद्यालय श्रेणी में शूलिनी यूनिवर्सिटी ऑफ बायो टेक्नालॉजी एंड मैनेजमेंट साइंस सोलन का देश में 89वां रैंक रहा। विवि का स्कोर 39.53 रहा। बीते वर्ष यह विवि टॉप 100 में नहीं था। इंजीनियरिंग श्रेणी में शूलिनी विवि का 38.58 स्कोर के साथ 103वां रैंक रहा। बीते वर्ष 112वें रैंक पर था। इसी श्रेणी में जेपी यूनिवर्सिटी ऑफ इन्फॉरमेशन टेक्नालॉजी सोलन 36.53 स्कोर के साथ 129वें रैंक पर रहा। वर्ष 2020 में 115वां रैंक था। एनआईटी हमीरपुर 39.09 स्कोर के साथ 99वें रैंक पर रहा। बीते वर्ष 98वां रैंक था। फार्मेसी श्रेणी में शूलिनी विवि को 49.38 स्कोर के साथ 36वां रैंक मिला। बीते वर्ष 39वां रैंक था। आर्किटेक्चर श्रेणी में एनआईटी हमीरपुर का 23वां रैंक रहा। बीते वर्ष 19वां रैंक था।

गुणवत्ता के आधार पर होती है रैंकिंग

भारतीय शिक्षण संस्थानों को उनकी गुणवत्ता के आधार पर रैंकिंग में जगह मिलती है। इंडिया रैंकिंग में पांच मापदंड के आधार पर यह निर्णय लिया जाता है। इसमें टीचिंग, लर्निंग, रिसोर्स प्रमुख होते हैं। छात्रों की संख्या, छात्र-शिक्षक अनुपात, शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता और अनुभव, वित्तीय संसाधन और उनकी उपयोगिता, रिसर्च एंड प्रोफेशनल प्रैक्टिस में प्रकाशन, प्रकाशन की गुणवत्ता, पेटेंट, सहायता, सलाहकार, यूनिवर्सिटी परीक्षा, प्लेसमेंट पैकेज, पीएचडी छात्रों की संख्या के साथ विदेशी या अन्य राज्यों के छात्र, आर्थिक रूप से कमजोर व दिव्यांग छात्र, उनके लिए सुविधाएं और प्रशासन आदि की परख की जाती है।