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OPS बहाली की मांग को दे मान तो सरकार के पक्ष में करेंगे अपने मताधिकार का प्रयोग!

जसबीर कुमार |

पुरानी पेंशन बहाल को लेकर क्रमिक अनशन पर बैठे एनपीएस कर्मचारी 15 सितंबर के बाद वोट फॉर ओपीएस अभियान चलाएंगे. यदि सरकार ने OPS बहाली की मांग को मान दिया तो सरकार के पक्ष में अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे यदि सरकार बात नहीं मानती है तो फिर सरकार के विरूद्ध मतदान किया जाएगा.

रविवार को क्रमिक अनशन पर बैठे हमीरपुर जिला के एनपीएस कर्मियों के साथ प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप ठाकुर भी शमिल हुए. उन्होंने दो टूक कहा कि सरकार को 15 सितंबर तक का समय पत्र के माध्यम से दिया गया है. यदि बात नहीं मानी गई तो उसके बाद वोट फॉर ओपीएस अभियान शुरू किया जाएगा. यदि सरकार पुरानी पेंशन बहाल करती है तो सरकार के पक्ष में मतदान करेंगे अन्यथा सरकार के खिलाफ मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे.

उन्होंने कहा कि कर्मचारी लंबे समय से ओपीएस बहाली की मांग कर रहे हैं. आज दिन तक आश्वासनों के सिवाए कुछ नहीं मिला. मजबूरी में अब क्रमिक अनशन का फैसला लिया गया है. आगामी समय में यह क्रमिक अनशन जिला स्तर व ब्लॉक स्तर पर भी हो सकता है. फिलहाल यह विधानसभा क्षेत्र स्तर पर हो रहा है.

जाहिर है कि लंबे समय से चल रही कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली की मांग पूरी ना होने पर अब कर्मचारी अनिश्चितकालीन क्रमिक अनशन पर बैठ गए है. नगर परिषद हमीरपुर की वर्षा शालिका में शुरू हुए क्रमिक अनशन के चौथे दिन हमीरपुर जिला से कर्मचारियों ने मोर्चा संभाला. सरकार से पुरानी पेंशन बहाल करने को लेकर हर मंच से मांग उठाई जा रही है लेकिन अभी तक भी फैसला नहीं लिया जा रहा.

हमीरपुर ऊना और बिलासपुर के कर्मचारी क्रमिक अनशन पर बैठे हैं. रविवार को हमीरपुर जिला के कर्मचारी क्रमिक अनशन में शामिल हुए. उनका कहना है कि यदि मांग पूरी नहीं होती है तो आने वाले समय में उनका यह क्रमिक अनशन आगे तक बढ़ेगा. न्यू पेंशन स्कीम कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों का कहना है कि जब तक राज्य कार्यकारिणी आगे का आदेश नहीं देती तब तक क्रमिक अनशन जारी रहेगा.

नई पेंशन स्कीम के तहत जो कर्मचारी सेवानिवृत्त हो रहे हैं उनका बुढ़ापा भी सुरक्षित नहीं है बुजुर्ग अवस्था में अपनी सुरक्षा के लिए कर्मचारी एकजुट हुए हैं उनका कहना है कि पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग को लेकर प्रदेश के सारे कर्मचारी एकजुट हैं जिसे सरकार को अति शीघ्र पूरा कर देना चाहिए क्योंकि यदि यह पेंशन बहाल नहीं होती है तो आने वाले चुनावों में सरकार को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है.