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अगर आप भी हैं सोशल मीडिया पर सेल्फी डालने के शौकीन तो एक बार इस खबर को जरूर पढ़ें

समाचार फर्स्ट डेस्क |

कोरोना के कारण लगे लॉकडाउन के बाद से लोगों का अधिकतर समय इंटरनेट पर ही बीत रहा है। लेकिन अब साइबर अपराध इतना ज्यादा बढ़ता जा रहा है कि यह हम सबके लिए एक बहुत बड़ी समस्या बनता जा रहा है। इंटरनेट पर पुरुषों की तुलना में महिलाएं कुछ ज्यादा ही तस्वीरें पोस्ट करती हैं। ये तस्वीरें व्हाट्सएप, फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट पर पोस्ट की जाती हैं। साइबर अपराधी इन तस्वीरों का दुरुपयोग कर सकते हैं। इन तस्वीरों को बड़ी आसानी से डीपफेक टेक्नोलॉजी की मदद से अश्लील तस्वीरों में बदला जा सकता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का इस्तेमाल कर इन तस्वीरों को डीपफेक बॉट की मदद से अश्लील तस्वीरों में बदला गया है। यह सब इतनी सफाई से किया जाता है कि असली और नकली तस्वीरों और वीडियो में फर्क कर पाना मुश्किल होता है। डीपफेक फेक से भी आगे की स्टेज है। बॉट दरअसल एक ऐसा रोबोट है, जो मैसेजिंग ऐप पर इंसानी बातचीत की नकल कर सकता है।

इंटरनेट पर मौजूद फेक अकाउंट का पता लगाने वाली कंपनी सेंसिटी ने हाल ही में पता लगाया है कि सोशल मीडिया पर डाली गई एक लाख महिलाओं की तस्वीरों को अश्लील तस्वीरों में बदला गया है। उन्हें इंटरनेट से हटाना भी मुमकिन नहीं है। इंटरनेट पर कोई आपत्तिजनक कंटेंट एक बार अपलोड हो जाए, तो उसे पूरी तरह से हटाना लगभग असंभव है। सेंसिटी की रिपोर्ट के मुताबिक, बॉट प्रसिद्ध सोशल मीडिया मैसेजिंग एप टेलीग्राम के एक चैनल पर उपलब्ध है। उपयोगकर्ता इससे महिलाओं की तस्वीरें भेजते हैं और बॉट उन्हें अश्लील तस्वीरों में बदल देता है। जिस टेलीग्राम को अब तक व्हाट्सएप से भी अधिक सुरक्षित माना जाता था, उसी पर महिलाओं के मान-सम्मान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जो वेबसाइट्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कानूनों का पालन करते हैं, वे तो एक हद तक आपत्तिजनक कंटेंट को हटा भी सकते हैं, लेकिन इंटरनेट पर ऐसी लाखों-करोड़ों वेबसाइट्स हैं, जिनसे अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट को हटाना संभव नहीं है। कानून और पुलिस भी इन लाखों-करोड़ों वेबसाइट्स पर अंकुश लगाने में असमर्थ हैं।  

सोशल मीडिया की जिन तस्वीरों के साथ आसानी से छेड़छाड़ हो सकती है, उनमें ज्यादातर सेल्फीज होती हैं। सेल्फीज में चेहरा साफ-साफ दिखाई देता है और आमतौर पर इसके रेजोल्यूशन की गुणवत्ता भी बेहतर होती है। इसलिए सेल्फी कैमरे से ली गई किसी महिला के चेहरे की तस्वीर को किसी अश्लील तस्वीर के साथ जोड़ना आसान होता है। इसलिए साइबर अपराधी ज्यादातर सेल्फी का ही दुरुपयोग करते हैं। अलग-अलग एंगल से ली गई सेल्फी से चेहरे के अलग-अलग एंगल, डीपफेक तैयार करने वाले आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का काम बहुत आसान कर देते हैं और इनसे ऐसे वीडियोज तैयार किए जा सकते हैं, जिन्हें नकली मानना लगभग नामुमकिन होता है, क्योंकि इसमें चेहरे के सभी भाव, सभी एंगल मौजूद होते हैं। डीपफेक के जरिये केवल महिलाओं को ही बदनाम करने की कोशिश नहीं की जाती, बड़े-बड़े नेता, सेलिब्रिटीज और आम पुरुष भी इसके शिकार होते हैं। डीपफेक इंटरनेट की दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार बन चुका है और इसके जरिये आपत्तिजनक वीडियो बनाकर किसी के भी जीवन को बर्बाद किया जा सकता है।

साइबर क्राइम पुलिस शिमला के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरवीर राठौर के अनुसार साइबर क्राइम ब्रांच ने लोगों को जागरूक करने के लिए एडवायजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि महिलाएं इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर अनजान लोगों से दूर रहें। उनसे निजी जानकारी साझा न करें। वाट्सएप पर कोई अन्य व्यक्ति आपको यदि किसी ग्रुप में जोड़े तो उसकी हिस्ट्री तलाशें। समूह से जुड़े लोगों की जानकारी लें। यदि सही न लगे तो तुरंत उस समूह से एक्जिट हो जाएं। इंटरनेट मीडिया पर अजनबियों के बीच अपने दस्तावेज और फोटो साझा न करें। इंटरनेट मीडिया पर नजर आने वाले किसी अज्ञात लिंक पर क्लिक न करें। ऐसा करने से आपका बैंक खाता हैक हो सकता है। अपने बैंक खाता, पासबुक, एटीएम, पिन, ओटीपी से संबंधित जानकारी किसी से साझा न करें। साथ ही ऑनलाइन खरीददारी करते समय इस बात का ख्याल लोगों को हमेशा रखना चाहिए। किसी सस्‍ते और लुभावने ऑफर से सावधान रहें। जिस भी ऑनलाइन वेबसाइट से आप सामान खरीद रहे हैं, वह भरोसेमंद होनी चाहिए।