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आपदा प्रबंधन के लिए 48 हजार से अधिक युवाओं को दिया जाएगा प्रशिक्षणः CM

<p>मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि सुरक्षित और आपदा प्रतिरोधी हिमाचल के निर्माण के लिए सभी सरकारी एजेंसियों और गैर-सरकारी संगठनों के सामूहिक प्रयासों के माध्यम से एक समग्र, सक्रिय, बहु-आपदा, प्रौद्योगिकी संचालित और समुदाय आधारित रणनीति विकसित कर प्रभावी कदम उठाए जाने की आवश्यकता है। वह आज यहां लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर राज्यों के हितधारकों के लिए &lsquo;&lsquo;पहाड़ी शहरों में आपदा जोखिम न्यूनीकरण की चुनौतियां&rsquo;&rsquo; विषय पर आयोजित दो दिवसीय क्षेत्रीय कार्यशाला की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला का आयोजन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एसडीएमए) के सहयोग से राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और हि.प्र. विज्ञान प्रौद्योगिकी और पर्यावरण परिषद् कर रही है।</p>

<p>मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में विभिन्न प्राकृतिक जोखिमों जैसे भूकंप, भूस्खलन, बाढ़, बर्फीले तूफान और हिमस्खलन, सूखे आदि और मानव निर्मित जोखिमों जैसे बांधों का टूटना, आग, दुर्घटनाओं सहित जैविक, औद्योगिक और खतरनाक रसायन शामिल हैं। इसके अलावा, भूकंपीय क्षेत्र पांच में आने के कारण हिमाचल में भूकंप के खतरे और भी बढ़ जाते हैं इसलिए घरों को भूकंप प्रतिरोधी बनाने के लिए वैज्ञानिक प्रौद्योगिकियों को अपनाना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि प्रभावी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली सुनिश्चित करके इसे कम करने के लिए कदम उठाए जाने की भी आवश्यकता है। उन्होंने चिंता व्यक्त की कि लोग अभी भी ऐसे घरों में रह रहे हैं जो मजबूत स्थिति में नहीं हैं।</p>

<p>जयराम ठाकुर ने कहा कि सुरक्षित घरों के निर्माण को बढ़ावा देने के लिए 16,130 बढ़ईयों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्तर तक स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत करने के लिए अस्पताल सुरक्षा योजना के अंतर्गत एक योजना बनाई गई है ताकि किसी भी आपदा की स्थिति में प्रभावी सेवाएं प्रदान की जा सकें। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रत्येक ग्राम पंचायत में कम से कम दस से पंद्रह युवाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा और इस प्रकार पहले चरण में 48,390 युवाओं को बचाव कार्य और पीड़ितों को प्राथमिक उपचार देने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि एसडीएमए ने पिछले साल आसामयिक हिमपात के कारण चंबा, कुल्लू और लाहौल स्पीति जिलों में फंसे 4000 से ज्यादा लोगों को बचाने के लिए &lsquo;ऑपरेशन व्हाइट हिमालया&rsquo; को सफलतापूर्वक अंजाम दिया था।</p>

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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने स्कूल सुरक्षा परियोजना को भी मंजूरी दी है जिसके अंतर्गत आपदा प्रबंधन योजना तैयार की जाएगी और शिक्षण संस्थानों में माॅक ड्रिल आयोजित की जाएगी। भारत सरकार ने राज्य के लिए एक राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बटालियन को भी मंजूरी दी है और राज्य सरकार अपनी राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल स्थापित करने पर भी काम कर रही है।</p>

<p>मुख्यमंत्री ने कहा कि आपदा की घटनाओं को कम करने और इन्हें रोकने की तैयारियों के लिए सभी स्तरों पर क्षमता निर्माण करके एक आपदा रोधी हिमाचल बनाने के प्रयास किए जाने चाहिए। राजनीतिक और कानूनी प्रतिबद्धता के अतिरिक्त, वैज्ञानिक ज्ञान, चेतावनी प्रणाली और आपदा जोखिमों के शमन के लिए प्रौद्योगिकी के बेहतर उपयोग के अलावा हितधारकों की सक्रिय भागीदारी भी इसमें आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आपदाओं के जोखिम को कम करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बेहतर समन्वय भी महत्वपूर्ण है। राज्य आपदा न्यूनीकरण कोष स्थापित करने पर विचार करेगा, ताकि प्रभावित समुदाय को तत्काल राहत प्रदान करने के लिए धनराशि जारी की जा सके। उन्होंने इस अवसर पर एसडीएमए द्वारा तैयार स्कूल प्रबंधन के दिशा-निर्देशों पर एक पुस्तिका, आपदा प्रबंधन और सुरक्षित निर्माण प्रथाओं पर दो वीडियो जारी किए।</p>

<p>शहरी विकास, आवास और नगर नियोजन मंत्री सरवीन चैधरी ने विशेष रूप से पहाड़ी राज्यों में घरों के निर्माण में पारंपरिक तकनीकों को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार नक्शों के अनुसार गृह निर्माण को प्रोत्साहित कर रही है, जिसके लिए आवेदन के एक माह के भीतर मंजूरी प्रदान की जा रही है। उन्होंने जनता से आग्रह किया कि भवनों का निर्माण नियमानुसार करें ताकि प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान को कम किया जा सके। उन्होंने देश में रेरा अधिनियम लागू करने के लिए प्रधानमंत्री का आभार व्यक्त किया।</p>

<p>मुख्य सचिव डा. श्रीकांत बाल्दी ने कहा कि सचिवालय, उपायुक्त कार्यालयों, दमकल केंद्रों, पुलिस थानों, दूरसंचार नेटवर्क, महत्वपूर्ण पुलों और पानी के टैंकों आदि जैसे जीवन रेखा भवनों को मजबूत बनाने की जरूरत है ताकि किसी भी प्राकृतिक आपदा की स्थिति में तत्काल राहत प्रदान की जा सके। उन्होंने सड़क और अन्य बुनियादी ढांचों के निर्माण के कारण निकलने वाले मलबे के वैज्ञानिक प्रबंधन पर भी बल दिया क्योंकि यह भूस्खलन और बाढ़ का कारण बनता है।</p>

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