भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी में 25 जून को आयोजित जी20-एस20 बैठक के तीसरे दिन स्किल इंडिया विषय पर कौशल-आधारित शिक्षा पर जोर देने के लिए सार्वजनिक और निजी क्षेत्रों के प्रतिनिधियों को एक साथ लाने के लिए एक मंच प्रदान किया गया.
ताकि भारतीय युवाओं के बीच उद्यमशीलता और सेवा कौशल के महत्तव को बढ़ाया जा सके। इस आयोजन के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर बनाने के दृष्टिकोण के अनुरूप व्यावहारिक उद्योग कौशल विकसित करने का प्रयास किया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि, उपमुख्यमंत्री, मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि युवाओं को बेहतर कौशल प्रदान करने के लिए राज्य सरकार और आईआईटी मंडी साथ-साथ काम करेंगे।
इसके लिए सरकार ने राज्य में कई कौशल विकास केंद्र स्थापित किए हैं। हमें संयुक्त रूप से यह सुनिश्चित करना चाहिए कि परियोजनाएं हमारे राज्य और देश के युवाओं के लिए जमीनी स्तर पर क्रियान्वित हों। वर्तमान में देखा जाए तो इलेक्ट्रिक वाहन हमारा भविष्य हैं। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस प्रौद्योगिकी का भारतीय करण किया जाए ताकि इस क्षेत्र में दीर्घकालिक और किफायती समाधान बनाए जा सकें।
इसी क्रम में ऊना के कौशल विकास केंद्र को आईआईटी मंडी को सौंपा जा रहा है जो अब आईआईटी मंडी के एक उपकेंद्र के रूप में कार्य करेगा। इस अवसर पर ऊना के कौशल विकास केंद्र को विकसित करने में राज्य सरकार के साथ साझेदारी करके आईआईटी मंडी खुद को और सशक्त महसूस कर रहा है। आईआईटी मंडी के निदेशक प्रोफेसर लक्ष्मीधर बेहेरा ने कहा, कि स्किल इंडिया आत्मनिर्भर भारत केलिए एक अतिआवश्यक प्रेरक तत्व है।
इस संबंध में हमें दीर्घकालिक विकास पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र ने दीर्घकालिक विकास के लिए 17 मापदंडों पर फोकस किया है और आईआईटी मंडी इन लक्ष्यों से संबंधित कई मापदंडों एवं पहलों पर काम कर रहा है। बायोएनर्जी, जलवायु नियंत्रित कृषि और बायोमेडिसिन, के साथ ही सेंटर फार सस्टेनेबल डेवेलपमेंट का संस्थान में होना इसके कुछ उदाहरण हैं, जिनका उद्देश्य कुशल कर्मियों का कार्यबल तैयार करना है।
इन पहलों के साथ ही हम देश के युवाओं केलिए उद्यमशीलता के अवसरों को भी प्रोत्साहित करना चाहतेहैं। इसके साथ हीइस कार्यक्रम में स्किल इंडिया के महत्व पर सरकारी और निजी निकायों से शामिल हुए वक्ताओं की चर्चाएं शामिल थीं।
व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण के बदलते परिदृश्य पर बात करते हुएराष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण परिषद (एनसीवीईटी) की कार्यकारी सदस्य डॉ. विनीता अग्रवाल ने कहा, भारत सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ाने, बेरोजगारी को कम करने और विभिन्न उद्योगों में कौशल की कमी को पूर्ण करने के लिए कौशल विकास के महत्त्व को स्वीकारा है। इसके अतिरिक्त अनुकूल जनसंख्या संरचना, विशाल कार्यबल और विशाल असंगठित क्षेत्र को देखते हुए भारत में व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल का दायरा बहुत बड़ा है।
इससे देश के रोजगार और आर्थिक विकास की चुनौतियों का समाधानखोजनेकी संभावनाएं काफी प्रबल हो जाती हैं। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के रणनीति और भावी कार्य विभाग की जीएम डॉ. नीता प्रधान दासने कहा, कि किसी कार्य का भविष्य नए अवसरों की एक नई दुनिया प्रस्तुत करता है हालांकि टेक्नोलॉजी विकास और काम के संबंध में हो रहे परिवर्तनों को हमें बेहतर ढंग प्रबंधित करनाहोगाताकि इसमें कोई भी पीछे न रह जाए,
हालांकि, यह किस हद सुनिश्चित हो सकेगा इस पर बहस जारी है। काम करने के तरीकों के सम्बन्ध में तेजी से बदलती इस दुनिया के कारण कौशल, भविष्य के कार्य और समावेशी विकास के विषयों को वैश्विक एजेंडे पर फिर से वापस ला दिया है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) की निदेशक डॉ. रीता शर्मा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 जोकि संपूर्ण विकास और व्यावसायिक शिक्षा पर जोर देती है को सफलतापूर्वक लागू करने में कुशल शिक्षकों के महत्व की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
आईआईटी मंडी सतत विकास, जलवायु-नियंत्रित कृषि, एआई (आर्टिफिसियल इंटेलीजेंस), रोबोटिक्स, ड्रोन प्रौद्योगिकी, क्लाउड कंप्यूटिंग, साइबर-भौतिक प्रणाली, विनिर्माण और स्वचालन जैसे विभिन्न क्षेत्रों में कुशल पेशेवरों को प्रशिक्षित करने के लिए समर्पित है।
इसके आलावा संस्थान मेक इन-इंडिया जैसी राष्ट्रीय पहल में महत्वपूर्ण योगदान देता है और भारत को दुनिया के कौशल के केंद्र के रूप में स्थापित करने के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण को पूर्ण करने में सहयोग करता है.