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हिमाचल की पहाड़ियों में छिपा है कई बीमारियों का इलाज!, शिमला में चलाया जागरूक अभियान

पी. चंद, शिमला |

हिमाचल को पहाड़ों का प्रदेश भी कहा जाता है और यहां पहाड़ियों पर कई ऐसी औषधियां पाई जाती हैं जिनसे कई बीमारियों का इलाज कुछ हद तक संभव हो पाता है। इसी के चलते हिमालयन वन अनुसन्धान संस्थान ने शिमला में तीन दिवशिय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया है। शिविर में हिमालय के ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाई जाने वाली ओषधियों के बारे में जानकारी दी जा रही है, ताकि उनकी पहचान ,विपणन और मार्किट में लाकर रोजगार से जोड़ा जा सके।

ध्यान रहे कि दुनिया भर में सबसे अधिक औषधीय पौधे भारत में हैं। मगर हर्बल औषधि के कारोबार में दुनिया के अन्य देशों की अपेक्षा हमारी हिस्सेदारी बहुत कम है। वजह यह है कि हमारे देश में मौजूद वनस्पतियों की हम ठीक से जानकारी नहीं कर सके हैं। इस क्षेत्र में वैज्ञानिकों को बहुत काम करना है और युवा पीढ़ी को भी इस पर ठीक से काम करना होगा।

हिमालयन वन अनुसन्धान केंद्र शिमला के निदेशक वीपी तिवारी ने कहा कि आज भारत की 80 फीसदी जनसंख्या हर्बल औषधियों पर आधारित है मगर उनका वैज्ञानिक मूल्यांकन अभी तक नहीं हो पाया है। इसके लिए वैश्विक स्तर पर स्थानीय उत्पादन और ऐसे मूल्यवान पौधों से औषधियों के उत्पादन का निर्धारण करना होगा। अभी हम जिन हर्बल औषधियों का उत्पादन करते हैं वह हमारे पांरपरिक ज्ञान पर आधारित हैं। उन्होंने बताया कि पूरी दुनिया में करीब 2500 वनस्पतियों का उपयोग औषधि के रूप में होता है मगर इनमें से दस वनस्पतियां ही औद्योगिक स्तर पर सफल हैं। इनमें तीन भारत में पाई जाती हैं।

वीपी तिवारी ने सफेद मूसली, काली मूसली, अश्वगंधा, सर्पगंधा, हड़जोड़, अड़ूस, गूगूल, नीबू घास, चिरइता, गिलोय आदि के औषधीय गुणों के बारे में भी विस्तार से बताया। इनके संरक्षण पर विशेष ध्यान देने पर जोर दिया। उन्होंने बताया की भारत में 1500 से अधिक ओषधीय पौधे पाए जाते हैं जिनमें हिमालयन क्षेत्रो में अधिकतर मिलते हैं जिन पर बहुत काम करना बाकि है।