हिंदू धर्म के अनुसार शादी-विवाह औऱ नए बच्चों के जन्म को लेकर किन्नरों को शगुन देना और त्यौहार में शगुन देना श्रेष्ठ माना जाता है और वहीं शगुन अगर किन्नर समुदाय के लोगों को दिया जाए तो उस शगुन का और महत्व बढ़ जाता है। कुछ ऐसा ही मंजर धर्मशाला शहर में शनिवार को देखने को मिला जब एक 86 वर्षीय किन्नर (कांता माई चौहान) अपने समुदाय के लोगों के साथ ढोलकी वह बाजे गाजे के साथ सड़कों पर निकल रही थी और स्थानीय दुकानदार और स्थानीय लोग उनके पांव छूकर उन्हें शगुन के तौर पर अपनी दुकान से सामान या अन्य शगुन देकर उनसे अर्शीवाद सिक्के के रूप में ले रहे थे और इस स्नेहपद घटना को देखने को लोगों का हंजूम कोतवाली बाजार में देकने को मिला।
हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार किन्नरों से लिया गया सिक्का धन की देवी लक्ष्मी की बढ़ोतरी उस परिवार की करता है, और किन्नर कांता माई चौहान पिछले 60 दशकों से कोतवाली बाजार और जिला कांगड़ा के मुख्य बाजारों में अपनी टोली के साथ शगुन मांगने के लिए जाती हैं और सिक्के के रुप में आर्शीवाद देती है। शनिवार को कोतवाली बाजार में जब कांता माई चौहान की टोली सगुन मांग रही थी। इस दौरान किन्नर कांता माई चौहान ने बताया कि आज भी लोग उन्हें पहले की तरह ही अपना प्यार और सहयोग देते है। बता दें कि किन्नर कांता माई चौहान प्रदेश के 6 जिलों में अपने समुदाय को लेकर चल रही है और उनका यह परिवार दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है। कांताबाई चौहान के पास अंग्रेजी हकूमत द्वारा दिए जाने वाले ताम्रपत्र भी है जो उनके पूर्वजों ने उन्हें विरासत के तौर पर सौंप रखे हैं।