हिमाचल

शिमला से 100 किलोमीटर दूर जंगल में अंग्रेजों ने 1914 में बना दिया गेस्ट हाउस

पी. चंद। शिमला उत्तर भारत के सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशन में से एक है और इसे “पहाड़ों की रानी” भी कहा जाता है। सन 1864 से 1947 में भारत की स्वतंत्रता तक यह भारत में ब्रिटिश राज की ग्रीष्मकालीन राजधानी था। मैदानी इलाकों की धूल मिट्टी से बचने के लिए अंग्रेजों ने शिमला को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था। शिमला में अंग्रेजों ने प्राकृतिक सुकून को ध्यान में रखकर अपने ऐशोआराम की हर चीज़ बनाई।

हैरानी की बात तो ये है कि शिमला से मीलों दूर भी अंग्रेजों ने अपने ठहरने की व्यवस्था की और अपने लिए आलीशान गेस्ट हाउस बनाए। ऐसा ही एक गेस्ट हाउस है शिमला से लगभग 100 किलोमीटर दूर सरैन गांव में भी बनाया गया। 1914 में बनाया गया ये गेस्ट हाउस आज भी प्राकृतिक सौंदर्य के मध्य रहने में सुकून का अहसास करवाता है।

लकड़ी और पत्थर से बना रेस्ट हाउस

लकड़ी और पत्थर से बनाया गया ये गेस्ट हाउस काफी खुला है। 12 फ़ीट ऊंचे और बड़े बड़े कमरों के रूप में बने इस गेस्ट हाउस में अंग्रेजों के समय की चीजें रखी हुई हैं। हालांकि इसमें दो कमरे है, बावजूद इसमें ऐशोआराम की सभी चीजें मौजूद हैं। गेस्ट हाउस के बाहर खूबसूरत प्रांगण में बैठकर आप प्राकृतिक नज़रों का आनंद ले सकते हैं।

उस दौर में कैसे बनाया होगा…??

इस गेस्ट हाउस के बारे में समाचार फर्स्ट आपको इसलिए बता रहा है कि 1914 में जब हिमाचल में नाममात्र की सड़कें थी और चौपाल के इस क्षेत्र दुर्गम क्षेत्र में लोग भी न के बराबर रहते थे उस वक़्त अंग्रेजों ने ऐसी जगह की खोज कर एक आलीशान गेस्ट हाउस बना दिया ये दूरदर्शी सोच हमारे नेताओं में क्यों नही है? क्योंकि शिमला से 100 किलोमीटर दूर घोड़ों पर जाकर ऐसी छोटी सी जगह में रहने के लिए चुनौतियां कम नही होंगी। सबसे बड़ी बात तो ये है कि यदि शिमला से किसी ने चूड़धार की यात्रा करनी है तो इसी जगह से शुरू होती है।

ये गेस्ट हाउस वन विभाग के पास है। सबसे अच्छी बात ये है कि इसमें अब पर्यटक भी आने लगे हैं। उसकी वजह ये है कि हिमाचल प्रदेश वन विभाग के वर्षों पुराने अतिथि गृह पर्यटकों के लिए खोल दिए गए हैं। जिसमें इस गेस्ट हाउस को भी शामिल किया गया है। अब सरैन (सराह) का ये गेस्ट हाउस कमाऊ पूत बन रहा है। सरकारी गेस्ट हाउस जो घाटे में चल रहे थे अब ऑनलाइन होने के बाद घाटे से उभरने लगे है। हालांकि अभी भी कई गेस्ट हाउस सहित हिमाचल भवन व सदन में उसी दिन बूकिंग की कॉन्फार्मेशन दी जाती है जिसकी वजह से लोगों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

Manish Koul

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