<p>हिंदू-मुस्लिम एकता और भाईचारे की मिसाल ऐतिहासिक मिंजर मेला भगवान रघुवीर को मिंजर अर्पित करने की रस्म के साथ ही रविवार को शुरू हो गया। इसके आयोजन को लेकर प्रशासन ने पूरी रूप रेखा तैयार कर ली है। कोरोना महामारी के चलते इस साल मिंजर मेला मात्र पारंपरिक रस्मों के निर्वहन तक ही सीमित रहेगा। भगवान रघुवीर को मिंजर अर्पित करने की रस्म के साथ ही रविवार को शुरू हो गया। मिर्जा परिवार के सदस्य ने पैलेस में स्थित भगवान रघुवीर को मिंजर अर्पित कर मेले का विधिवत आगाज किया। लक्ष्मीनारायण और बंसी गोपाल मंदिर में भी मिंजर चढ़ाई गई। मेले के शुभारंभ पर विधानसभा उपाध्यक्ष हंसराज बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। ऐतिहासिक चौगान में ध्वजारोहण रस्म भी निभाई गई। इससे पूर्व नगर परिषद कार्यालय चंबा से मिंजर शोभायात्रा निकाली गई। इसमें नगर परिषद के पदाधिकारियों समेत उपायुक्त चंबा और सदर विधायक पवन नैयर भी शामिल हुए।</p>
<p>26 जुलाई से प्रतिदिन सांय पारंपरिक कुंजड़ी मल्हार गायन प्रस्तुत किया जाएगा, जिसे केबल नेटवर्क और अन्य माध्यमों से लाइव प्रसारित किया जाएगा ताकि लोग घर बैठे इसका आनंद ले पाएं। इस साल कोरोना महामारी के चलते चंबा में धारा 144 लागू है, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय मिंजर मेले के शुभारंभ में शहर की जनता भाग नहीं ले पाई। चंबा शहर के चौगान वार्ड, हटनाला वार्ड, चौंतड़ा वार्ड और सपड़ी वार्ड पूरी तरह से सील रहे। रविवार को अंतर्राष्ट्रीय मिंजर के शुभारंभ के मद्देनजर चंबा शहर को पूरी तरह से सील किया गया।अंतर्राष्ट्रीय मिंजर मेला कोविड- 19 महामारी के मद्देनजर इस वर्ष रस्म अदायगी तक ही सीमित रहेगा। आज सुबह 9 बजे से दोपहर एक बजे तक चंबा शहर को सील किया गया और बाजार भी पूरी तरह से बंद रहा।</p>
<p>गौरतलब है कि मिंजर मेला हिंदू-मुस्लिम एकता और भाईचारे का प्रतीक है। सदियों पुरानी परंपरा के तहत इस बार भी मिर्जा परिवार के सदस्यों ने मिंजर तैयार की, जिसे इसी परिवार के सबसे वरिष्ठ सदस्य की ओर से भगवान रघुवीर को अर्पित किया गया।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>राजा पृथ्वी सिंह ने शुरू की थी परंपरा</strong></span></p>
<p>यह मेला श्रावण मास के दूसरे रविवार को शुरू होकर सप्ताह भर चलता है। इस बार यह मेला 26 जुलाई से 2 अगस्त तक चलेगा। दो समुदायों में आत्मीयता और सद्भाव के प्रतीक इस मेले में हर बार की तरह इस बार भी सावन के मौसम में भगवान लक्ष्मीनारायण के मंदिर में मिंजर अर्पित की गई। इसके बाद अखंड चंडी महल में भगवान रघुवीर को मिंजर चढ़ाई गई।</p>
<p>मुगलकाल में शाहजहां के शासनकाल में सन् 1641 में राजा पृथ्वी सिंह भगवान रघुनाथ के चिन्ह चंबा लाए थे। शाहजहां ने मिर्जा साफी बेग को राजदूत के रूप में चंबा भेजा था। मिर्जा परिवार जरी और गोटे के काम में निपुण था। साफी बेग ने मिंजर को भगवान रघुनाथ के मंदिर में चढ़ाया जहां से यह परंपरा शुरू हो गई।</p>
<p><img src=”/media/gallery/images/image(986).png” style=”height:700px; width:418px” /></p>
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