देश की आन-बान और शान के लिए अपनी जान की परवाह किए बगैर विभिन्न युद्धों में विशेष भूमिका निभाने के बावजूद किन्हीं कारणों से गुमनाम हुए ऐसे वीर जवानों की उपलब्धियों को अब विशेष पहचान मिलेगी. ऐसे वीरों को खोजकर उन्हें समाज के सामने लाया जाएगा और उनकी उपलब्धियां देश को बताई जाएंगी.मिनिस्टिरी ऑफ ब्रॉडकास्टिंग के निर्देश पर सैनिक कल्याण निदेशालय की ओर से इसे लेकर एक विशेष अभियान शुरू किया जा रहा है. ऐसे वीर पूर्व सैनिकों की उपलब्धियां देश के लोगों को बताई जाएंगी, ताकि उन्हें खुद पर गर्व हो सके.बताते चलें कि देश की आजादी के बाद पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के कई युद्ध हुए.
इनमें बहुत से पूर्व सैनिकों को पहचान मिली और बहादुरी के लिए उन्हें विभिन्न वीरता पुरस्कारों से भी नवाजा गया, लेकिन बहुत सारे ऐसे जवान भी थे, जिन्होंने भी ऐसे अवसरों पर अदम्य साहस दिखाया, लेकिन उन्हें वो पहचान नहीं मिल सकी.नतीजन वे आज तक गुमनामी के अंधेरों में रह रहे हैं.इसी तरह कुछ सैनिक ऐसे भी रहे, जिन्होंने सेना में रहते हुए खेलों सहित अन्य कई क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य किए, लेकिन सराहनीय उपलब्धियां हासिल करने वाले ऐसे पूर्व सैनिकों को किन्हीं कारणों से पहचान नहीं मिल पाई या फिर कुछ ऐसे थे, जो पीओडब्ल्यू (प्रिसनर और वार) अर्थात युद्धबंदि थे, जो देश दुनिया के सामने नहीं आ पाए.
ऐसे पूर्व सैनिकों को चिन्हित करने के लिए सैनिक कल्याण निदेशालय ने आजादी का अमृत महोत्सव के तहत विशेष अभियान आरंभ किया है.ऐसे पूर्व सैनिकों के पास ऐसा कोई डाक्यूमेंट होना चाहिए, जो यह प्रूफ करता हो कि वे उस दौरान ऐसे आपरेशनों में मौजूद थे.सैनिक कल्याण निदेशालय इन्हें मिनिस्टरी ऑफ ब्रॉडकास्टिंग को भेजा जाएगा.
वहीं स्क्वाड्रन लीडर मनोज राणा, उपनिदेशक, सैनिक कल्याण विभाग ने पूर्व सैनिकों से आग्रह किया गया है कि अगर उन्होंने अपने सेवाकाल के दौरान ऐसी कोई भी उपलब्धि हासिल की है, जिसे किन्हीं कारणों से पहचान या मान्यता नहीं मिल पाई है, तो वे इससे संबंधित सभी आवश्यक दस्तावेजों सहित जिला सैनिक कल्याण उपनिदेशक कार्यालय हमीरपुर में संपर्क कर सकते हैं.उपनिदेशक कार्यालय के दूरभाष नंबर 01972-222334 पर संपर्क किया जा सकता है.