<p>बंदरों के आतंक से दुःखी प्रदेश की जनता ने बंदरो को मारने का नया तरीका ढूंढ निकाला है। सरकार से बंदरों को मारने की अनुमति के बाद बंदरों को धड़ल्ले से मारा जा रहा है। वैज्ञानिक तरीक़े से मारने की जगह बंदरों को जहर देकर मारा जा रहा है। बताया जा रहा है कि बंदरों को ब्रेड के साथ जहरीली दवाई देकर तड़पा-तड़पा कर मारा जा रहा है।</p>
<p>प्रदेश भर में बंदरों को ज़हरीली दवाई मिलाकर मारा जा रहा है। शिमला में भी लगातार बंदरो को मारा जा रहा है। अकेले बानमोर वार्ड में ही पिछले दो माह में अढ़ाई सौ से ज्यादा बंदरो को मौत के घाट उतारा जा चुका है। जो कि व्यवस्था और वन विभाग की लचार कार्यप्रणाली को दर्शाता है। क्योंकि बंदरो को मारने के आदेश तो हुए लेकिन वैज्ञानिक तरीके से मारने के बजाय इस तरह तड़पा कर मरना अमानवीय नही तो क्या है?</p>
<p>लोगों का कहना है कि ज़हर देकर बदंरों को मारने से बंदर ओर ज़्यादा हिंसक हो रहे हैं। लोगों का रास्ते में चलना भी मुहाल हो गया है। शिमला सहित प्रदेश के कई क्षेत्रों में मरे हुए बंदर देखे जा रहे है। जिसका पशु प्रेमी असन्तोष ज़ाहिर कर रहे हैं।</p>
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