<p>राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने कहा कि भारत विश्व में सबसे युवा राष्ट्र है और हम इस जनसंख्या का लाभ तभी ले सकते हैं यदि हम यह सुनिश्चित करें कि हमारे नागरिक मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ हों। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में हाल ही शुरू किया गया फीट इंडिया अभियान महत्त्वपूर्ण है। उन्होंने पीजीआई चण्डीगढ़ में ‘थ्रैनोस्टिक्सः द इंटिग्रेशन ऑफ थे्ररेपी एण्ड डायग्नोस्टिक्स’ विषय पर इंटिग्रेटिड एसोसिऐशन ऑफ मेडिकल बेसिक एंड सोशल साइटिस्ट संस्था द्वारा आयोजित पहली राष्ट्रीय कांफ्रेन्स की अध्यक्षता की। </p>
<p>उन्होंने इस महत्त्वपूर्ण क्षेत्र की ओर ध्यान देकर राष्ट्रीय सेमीनार का आयोजन करने के लिए आयोजकों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि आधुनिक तकनीक तथा विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में हुई प्रगति ने बीमार व्यक्तियों के उपचार के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोले हैं। उन्होंने कहा कि पीजीआई चण्डीगढ़ न केवल उत्तरी भारत बल्कि देश का अग्रणीय मेडिकल शोध संस्थान है। इस संस्थान में उत्तरी भारत के सभी राज्यों के लोग लाभान्वित हो रहे हैं और यह अमीर और गरीबों को समान रूप से उपचार सुविधा उपलब्ध करवाता है।</p>
<p>दत्तात्रेय ने आशा जताई कि यह सेमीनार लोगों के उपचार को बेहतर बनाने में सफल होगा लेकिन उन्होंने सुझाव दिया कि रोकथाम ईलाज से बेहतर है। ‘एक स्वस्थ राष्ट्र ही धनी राष्ट्र होता है। उन्होंने कहा कि स्वस्थ नागरिक का राष्ट्र निर्माण में महत्त्वपूर्ण योगदान होता है, लेकिन प्रश्न यह है कि राष्ट्र को कैसे स्वस्थ बनाया जाए? क्या राष्ट्र केवल अधिक संख्या में अस्पताल खोल कर स्वस्थ बन सकता है या फिर अपने नागरिकों को स्वस्थ बनाकर? दत्तात्रेय ने कहा कि उन्हें यह जानकार प्रसन्नता हुई कि अब वेलनेस सेंटर खोलने पर ध्यान केन्द्रीत किया जा रहा है ताकि नागरिक स्वस्थ बने, बजाए इसके की रोगियों की देखभाल अस्पताओं में की जाए।</p>
<p>राज्यपाल ने परम्परिक ज्ञान को विज्ञानिक और अनुभाविक रूप से परखे बिना खारिज नहीं करने पर बल देते हुए कहा कि हमें बीमारियों के कारण को खत्म करना चाहिए न की उसके लक्षणाों से लड़ना चाहिए। उन्होंने औषधियों के पारम्परिक और लोक पद्धति का परिक्षण वैज्ञानिक मापदण्ड पर करने का आग्रह किया। इस अवसर पर उन्होंने संस्था की स्मारिका का भी विमोचन किया। उन्होंने सम्बन्धित क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले डॉक्टरों को भी सम्मानित किया। इससे पूर्व, पद्मश्री डॉ. जगत राम, निदेशक पीजीआई, चण्डीगढ़ ने कहा कि विश्वभर में हर क्षण में स्वास्थ्य के क्षेत्र में मूलभूत और समाजिक विज्ञान क्षेत्र में कई वैज्ञानिक कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विज्ञान के क्षेत्र में किया गया कोई भी प्रयोग कभी व्यर्थ नहीं जाता परन्तु यह आवश्यक है कि भारी संसाधन लगाकर अनेक व्यक्तियों द्वारा मेहनत कर अर्जित ज्ञान का समुचित उपयोग होना चाहिए।</p>
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