हिमाचल को नदियों के प्रदेश के तौर पर भी जाना जाता है। प्रदेश में इतनी नदियां हैं कि पानी की कमी होने का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन, एक समाज और एक प्रदेश के तौर पर हिमाचल ने अपनी जिस प्राकृतिक संपदा की सबसे ज़्यादा अवहेलना की है वह है पानी। प्रदेश में इस समय जल संरक्षण को लेकर होने वाली अव्यवस्था अपने चरम पर है और यही कारण है कि लोगों को उनकी ज़रूरत का पानी भी नहीं मिलता। फिर भी पानी का गलत इस्तेमाल और उसकी बर्बादी लगातार जारी रहती है।
आईपीएच मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर ने कहा कि इस समस्या को दूर करने के लिए केंद्र से लेकर प्रदेश सरकारें पूरी तरह चिंतित हैं। पानी की समस्या दूर करने के लिए इस दिशा में कई प्रयास किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में हिमाचल सरकार ने जल संग्रहण से एक कदम आगे बढ़कर स्नो हारवेस्टिंग की तरफ बढ़ने जा रही है। राज्य सरकार ने प्रदेश में स्नो हारवेस्टिंग को लेकर काम करना शुरू कर दिया है और आईपीएच विभाग ने इसके लिए पूरा मास्टर प्लान भी तैयार कर लिया है।
महेंद्र सिंह ठाकुर के अनुसार 14-15 हजार फुट की उंचाई वाले पहाड़ों पर जो बर्फ गिरती है वह समय से पहले हिमस्खलन के कारण 7-8 हजार फुट की उंचाई पर आ जाती है। इससे बर्फ समय से पहले पिघल जाती है और गर्मियों के मौसम में उसका कोई लाभ नहीं मिलता। ऐसे में सरकार ने अब स्नो हारवेस्टिंग के जरिये बर्फ को पहाड़ों पर ही संग्रहित करने की योजना बनाई है। इस योजना के तहत 14-15 हजार फुट की उंचाई पर जो बर्फ होगी उसे वहीं पर ही रोकने का प्रयास होगा ताकि तपती गर्मी में यह बर्फ पिघल कर जल के रूप में इस्तेमाल की जा सके। इसको लेकर मास्टर प्लान तैयार कर लिया गया है और जल्द ही इस दिशा में कार्य भी शुरू कर दिया जाएगा।
वहीं, राज्य सरकार धरती के नीचे घट रहे जलस्तर को लेकर भी पूरी तरह से काम करने जा रही है। जो हैंडपंप सूख चुके हैं या फिर सूखने की कगार पर हैं उनके पास छोटे-छोटे तलाबों का निर्माण किया जाएगा ताकि इनमें पानी ठहरे और फिर वह पानी जमीन के नीचे समाहित हो जाए। इससे सूख चुके हैंडपंप दोबारा से पानी देने लगेंगे और जमीन के अंदर के जलस्तर में भी सुधार आएगा।