<p>विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने तपोवन स्थित विधानसभा परिसर में राज्य के सभी उपायुक्तों के साथ ई-विधान प्रबंधन प्रणाली के सुचारू कार्यान्वयन को लेकर एक वीडियो कॉफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए कहा कि ई-विधान प्रबंधन व्यवस्था के तहत विधायकों द्वारा भेजे गए सभी पत्रों का स्टेट्स संबंधित विभागों द्वारा ऑनलाइन अपडेट करना जरूरी होगा ताकि विधायकों को कार्यों की वर्तमान स्थिति के बारे में जानकारी मिल सके। विधायक ई-विधान के माध्यम से अपने विधान सभा क्षेत्रों में नए स्वीकृत कार्य और पहले से चल रहे कार्यों की समीक्षा भी कर सकते हैं। इससे विधायक अपने विधान सभा क्षेत्र में किसी भी तरह का कार्य की जानकारी रख सकते हैं और किसी भी कार्य के लिए फीड़बैक ले सकते हैं। इससे विधायक अपने क्षेत्र की वास्तविक प्राथमिकताएं तय कर सकते हैं, और सरकार को बजट प्रावधान के लिए उचित सुझाव दे सकते है।</p>
<p>हिमाचल प्रदेश विधानसभा के कार्य का डिजिटलीकरण कर दिया गया है और विधानसभा के कार्यों को कागज रहित बनाने की दिशा में पूर्णतया सफलता प्राप्त हुई है। हिमाचल प्रदेश विधान सभा ई-विधान प्रणाली को सफलतापूर्वक कार्यान्वित करने वाली भारत की प्रथम उच्च-तकनीक युक्त कागज विधान सभा है। प्रदेश विधान सभा द्वारा ई-विधान प्रणाली के माध्यम से सदन, सदन की समितियों, विधान सभा सचिवालय और विधायकों के निर्वाचन क्षेत्रों के प्रबंधन संबंधी कार्यचालन को ऑटोमेट किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि सदस्यों को सभी वांछित कागजात उनके टेबल पर, टॅच स्क्रीन पर, मोबाईल ऐप और ऑनलाईन उपलब्ध करवाये जाते हैं। सदस्य अपने प्रश्न और सूचनाएं आदि भी ई-विधान वैबसाइट या मोबाइल ऐप या विधान सभा मे स्थापित ई-फैसिलीटेशन केन्द्र में भेज सकते हैं। प्रश्न और सूचनाएं प्राप्त होने के बाद आगामी सारी प्रक्रिया भी ऑनलाईन कार्यन्वित होती है। जिसमें विधान सभा सचिवालय द्वारा प्रश्न या सूचनाएं संबंधित विभागो को भेजा जाना और उत्तरों को प्राप्त करना एक अहम प्रक्रिया है।</p>
<p>विधानसभा अध्यक्ष ने बताया कि सदन की समितियों के कार्यों को भी ई-विधान के अंतर्गत कागज रहित किया गया है जिसमें बैठकों की कार्यसूची और विभागीय उत्तर आदि ऑनलाईन ही उपलब्ध होते हैं। हिमाचल प्रदेश विधान सभा की ई-विधान के माध्यम से की गई पहल की राज्य के भीतर और बाहर प्रशंसा हुई है क्योंकि इससे जहां कागज की बचत हो रही हैं। वहीं, सत्र के दौरान वाहनों के अनावश्यक चालन पर भी रोक से सरकार का खर्चा कम हुआ है। हिमाचल प्रदेश विधान सभा द्वारा उठाए गए कदमों से यह स्पष्ट है कि ई-विधान के कार्यान्वयन को जहां हम बहत पहले ही कार्यरूप दे चुके हैं, वहीं हमारा मॉडल का अन्य विधान मंडलों के लिए भी अनुकरणीय रहा है।</p>
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