मिड-डे-मील वर्कर यूनियन सबंधित सीटू का चौथा जिला सम्मेलन कामरेड ताराचंद भवन मंडी में आयोजित किया गया. सम्मेलन का उदघाटन सीटू के जिला महासचिव राजेश शर्मा ने किया. जिसमें उन्होंने कहा कि यूनियन के गठन और संघर्षों की बदौलत ही आज मिड डे मील मज़दूरों को 3500 रुपये मासिक वेतन देने की घोषणा मुख्यमंत्री ने की है और सीटू द्धारा हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय में दायर याचिका के कारण उन्हें दस के बजाये बारह महीने का मानदेय देने का निर्देश जारी किया है.
लेकिन मुख्यमंत्री की घोषणा और सरकार की अधिसूचना जारी करने के बावजूद वर्करों को अभी भी 26 सौ रुपये मासिक वेतन ही मिल रहा है और दूसरी तरफ हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी अभी तक दस महीने का ही वेतन दिया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार इन वर्करों का शोषण कर रही है और अपनी कही गई बातों को लागू नहीं कर रही है.
केंद्र व राज्य सरकार से इन मज़दूरों को रैगुलर करने के लिए अभी तक पॉलसी नहीं बना पाई है. जबकि इस स्कीम को चले हुए बीस वर्ष हो चुके हैं. यूनियन की मांग है कि सभी मिड डे मील वर्करों को पक्का किया जाए और उन्हें सरकारी कर्मचारी घोषित किया जाये.
मिड डे मील यूनियन के जिला प्रभारी गुरुदास वर्मा ने सम्मेलन में पिछले तीन वर्षों की रिपोर्ट पेश की और आने वाले समय में यूनियन द्धारा उठाई जाने वाली मांगो का प्रस्ताव सम्मेलन में पेश किया. जिसे चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित किया गया. जिसके तहत सभी प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में दो-दो वर्कर लगाने की मांग की गई. क्योंकि वर्तमान में कई स्कूलों में केवल मात्र एक ही वर्कर लगाया गया है, जो आवश्यकता पड़ने पर छुट्टी भी नहीं ले सकता है
कई स्कूलों में 25 बच्चों की शर्त के आधार पर 15-20 वर्षों से कार्यरत वर्करों को हटाया जा रहा है. जिसका यूनियन विरोध करती है. यूनियन की मांग है कि प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों की गिनती विभाग इकठ्ठा करता है. जबकि खाना अलग-अलग बनता है. तो फिर 25 बच्चों से अधिक संख्या होने पर भी वर्करों की संख्या नहीं बढ़ाई जाती है. इसलिए यूनियन की मांग है कि सभी स्कूलों में कम से कम दो मिड डे मील वर्कर्स लगाए जाएं और ज़्यादा बच्चे होने पर उनकी संख्या बढ़ाई जाए.
उन्होंने कहा कि मिड डे मील वर्करों को किसी तरह का अवकाश नहीं मिलता है. महिला वर्करों के लिए रक्षाबंधन, भईया दूज और करवा चौथ की छुट्टी से भी वंचित रखा जाता है और एक दिन बाद 11 अगस्त को भी हज़ारों महिला वर्करों को अपने भाईयों की कलाई पर राखी बांधने से वंचित रहना पड़ेगा.
इस प्रकार प्रदेश सरकार इन वर्करों का शोषण कर रही है. कहने के लिए तो सरकार महिलाओं के उत्थान व सहायता की बड़ी-बड़ी बातें करती हैं. लेकिन मिड डे मील में काम कर रही हजारों महिलाओं का शोषण कर रही है.
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