शिमला: पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने शिमला से जारी बयान में कहा कि सुक्खू सरकार अब जनहित विरोधी रास्ते पर चल निकली है। मुखायम्त्री अब अपनी छवि चमकाने के लिए सरकार के पैसे बर्बाद करना चाहते हैं। अब सरकार ने हर मंत्री के लिए दो लोगों को भर्ती करने को मंज़ूरी दे रही है। जो मंत्री की छवि चमकाएँगे।
इतने बड़े सरकारी महकमें, सलाहकारों की फ़ौज और सरकार की छवि बनाने के लिए रखी गई सेना के बाद भी सरकार की छवि चमक नहीं पा रही है। सरकार की छवि चमकाने के लिए काम करने की आवश्यकता है, झूठ फैलाने की नहीं। सरकार चाहती है कि जिस तरह वह झूठ बोलकर सत्ता में आई है उसी तरह वह झूठी छवि गढ़ कर सत्ता में बनी रह सकती है। मुख्यमंत्री को इस आडंबर से बाहर आकर जनता के लिए ज़मीन पर काम करना होगा। छवि चमकाने से अब काम चलने वाला नहीं है।
जयराम ठाकुर ने कहा कि इलाज के लिए एक साल से अस्पताल का चक्कर काट रहे मरीज़ को सरकार की छवि चमकाने का लाभ कैसे मिल सकता है। बिस्तर पर लाचार पड़ा व्यक्ति का जीवन सरकार की चमकती छवि से नहीं, उनकी सहारा पेंशन से ही बदल सकती है, जिसे सरकार ने लंबे समय से रोक रखी है, क्या सरकार प्रदेश के गिने-चुने ऐसे ज़रूरतमंद लोगों के लिए पेंशन भी नहीं दे सकती है। जिससे उनकी ज़िंदगी थोड़ी आसान हो सके।
छोटी-छोटी जांच के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है। केएनएच में भर्ती मरीज़ को जांच के लिए आईजीएमसी तक का चक्कर लगाना पड़ रहा है। दिव्यांगजनों को सचिवालय तक जाने से रोकने के लिए पुलिस बल का प्रयोग किया जा रहा है। उनके साथ अमानवीयता की जा रही है। परीक्षा के परिणाम जारी करने के लिए प्रदेश के युवा एक साल से आयोग के गेट पर धरना दे रहे हैं और सुक्खू सरकार को अपने छवि की चिंता है। इससे शर्मनाक और क्या हो सकता है।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सरकार के पास अपनी छवि चमकाने के लिए पैसा है लेकिन बिजली सब्सिडी देने के लिए पैसा नहीं है, जबकि चुनाव जीतने के लिए 300 यूनिट बिजली फ्री देने की गारंटी दी थी। युवाओं को रोज़गार देने और लंबित पड़े रिजल्ट जारी करने का पैसा नहीं है जबकि हर साल एक लाख रोज़गार देने की घोषणा करके सत्ता पाई थी।
सरकार के पास युवाओं को स्टार्टअप फण्ड, आउटसोर्स कर्मियों को वेतन, निगमों पेंशनधारियों को पेंशन देने के लिए पैसे नहीं हैं, बुजुर्गों को मेडिकल का खर्च देने, कर्मचारियों की देनदारियों के लिए पैसे नहीं हैं। लेकिन सरकार को अपनी छवि की चिंता है, उसके लिए कोषागार में धन की कोई कमी नहीं हैं। मुख्यमंत्री, सरकार के दायित्वों के निर्वहन के ध्येय से हट गये हैं। जहां उन्हें अपनी छवि की चिंता है प्रदेश के लोगों के हितों की नहीं। मुख्यमंत्री यह भूल गये हैं कि प्रदेश के लोगों को प्रताड़ित करके वह अपनी छवि नहीं चमका पाएंगे। प्रदेश के लोग में सरकार से बहुत हताश हैं। उन्हें अब ऐसे काम करने के बारे में सोचना चाहिए कि वह प्रदेश के लोगों से नज़रें मिला सकें।
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