लोकसभा चुनाव आते ही एक बार फिर कर्मचारियों की ओपीएस का मुद्दा गरमाने लगा है.. मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू की सरकार पहले दिन से ही कर्मचारियों को ओपीएस का तोहफा देने का दावा कर अपनी पहली गारंटी पूरी करने की बात कह रही है.. अब लोकसभा चुनाव के साथ 6 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव सिर पर हैं..तो एक बार फिर हिमाचल प्रदेश में राजनीतिक दलों को कर्मचारियों की याद आने लगी है.. और खुद को कर्मचारियों का हितैषी साबित करने में जुट गए हैं.. याद आए भी क्यों ना भला लोकसभा चुनाव और उपचुनाव में कर्मचारियों से वोट जो लेने हैं.. हालांकि
ये तो प्रदेश के कर्मचारी खुद ही तय करेंगे कि उनका असली हितैषी कांग्रेस की सरकार है या फिर भाजपा.. फिलहाल, अब हिमाचल में विपक्ष की भाजपा एक बार फिर ओपीएस के मुद्दे पर सुक्खू की सरकार को घेरने में लग गई है.. या यूं कहें कि खुद को भी कर्मचारियों का हितैषी साबित करने में जुटी है..
शिमला में कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं मुख्यमंत्री सुक्खू, प्रतिभा सिंह और मुकेश अग्निहोत्री की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने भी मोर्चा संभाला और सीधे कांग्रेस सरकार पर टूट पड़े.. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने मुद्दे को तो कई उठाए, लेकिन एक ओपीएस का ऐसा मुद्दा उठाया..जिसमें वो खुद भी सरकार को किसी भी प्रकार से दोषी या सीधे तौर पर हमला नहीं बोल पाए..
जयराम ठाकुर ओपीएस के मुद्दे पर कुछ बदले बदले नजर आ रहे हैं.. कैसे कर्मचारियों की ओपीएस को लेकर सधा हुआ सियासी बयान दे रहे हैं… जयराम ठाकुर को ओपीएस पर ये बयान देने की आखिर जरूरत क्यों पड़ी.. वो इसलिए क्यों कि मुख्यमंत्री सुक्खू ने एक दिन पहले ही ओपीएस का मुद्दा उठाते हुए खुद को कर्मचारियों को हितैषी बताया था..
आपको याद होगा कि 2022 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले भी ओपीएस का मुद्दा जमकर भुनाया गया था.. कांग्रेस की तो गारंटी में ओपीएस थी..लेकिन भाजपा की पिछली जयराम सरकार ओपीएस पर खामोश थी.. जिसका खामियाजा शायद भाजपा को हिमाचल में हार से भुगतना भी पड़ा था.. ऐसे में एक बार फिर मुख्यमंत्री सुक्खू के बयान पर जयराम ठाकुर ने कुछ सधे अंदाज में पलटवार किया है..