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मंडी वालों ने दिया अपने मुख्यमंत्री का साथ, मंत्रियों ने कटा दी नाक

बीरबल शर्मा |

मंडी: हिमाचल के इतिहास में इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ कि किसी एक जिले में पार्टी की लैंड स्लाइड विक्टरी के बावजूद कोई दल सता से वंचित रह गया हो। मुख्यमंत्री के अपने गृह जिले में जहां कांग्रेस दस में से एक सीट बड़ी मुश्किल से जीत पाई वहीं भाजपा ने हैरानीजनक प्रदर्शन करते हुए 9 सीटों पर विजय दिलाकर मतदाताओं ने यह साबित कर दिया कि मुख्यमंत्री मिला था और उनके सम्मान में हम खड़े हैं। जहां एक तरफ मंडी जिले के मतदाताओं ने अपने मुख्यमंत्री होने के सम्मान में दलगत राजनीति, ओपीएस, फोरलेन समेत कई मुद्दों की बाधाओं को पार करते हुए अभूतपूर्व समर्थन दिया वहीं मुख्यमंत्री के साथ पांच साल तक मंत्री पद पर विराजमान रहे सभी मंत्री अपनी सीट तक नहीं बचा पाए।

एक भी मंत्री अपनी सीट नहीं बचा पाए। यहां तक कि एक सबसे वरिष्ठ मंत्री महेंद्र सिंह ठाकुर जिन पर आरोप था कि सारा बजट अपने ही गृह विधानसभा क्षेत्र धर्मपुर में लगा दिया है, ने अपने बेटे रजत ठाकुर को मैदान में उतारा तो जरूर मगर उसे जीता नहीं पाए। कांग्रेस को यदि मतदाताओं ने कहीं मंडी जिले में इज्जत बख्शी है तो वह केवल महेंद्र सिंह के बेटे को हराकर ही दी है। मुख्यमंत्री के जिले मंडी की बात करें तो मतदाताओं ने उन्हें सम्मान बख्शते हुए कांग्रेस के दिग्गजों ठाकुर कौल सिंह जो कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद का दावा भी जता चुके थे को भी हरा दिया। यहां तक कि कांग्रेस की ओर से जो सबसे सुरक्षित सीट पूर्व मंत्री प्रकाश चौधरी की बल्ह से मानी जा रही थी वहां भी सबसे कमजोर माने जा रहे भाजपा उम्मीदवार इंद्र सिंह गांधी ने उन्हें हरा दिया।

कांग्रेस के अन्य दिग्गज पूर्व मुख्य संसदीय सचिव सोहन लाल ठाकुर भी बुरी तरह से हार गए। अपने जिले में इतनी बड़ी जीत के बावजूद भी मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर, जिन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का भी पूरा समर्थन मिला प्रदेश में बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाए। प्रदेश के इतिहास में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ कि किसी भी सरकार के सभी मंत्री चुनाव हार जाएं। इससे इतना तो साबित हो ही जाता है कि मंत्रियों की कारगुजारी से लोग कतई खुश नहीं थे। इस बारे में पांच साल में कई बार गाहे बगाहे बातें उठती रही मगर मुख्यमंत्री अपने मंत्रीमंडल में फेरबदल करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए। किसी को हटाकर नए चेहरों को लाने का प्रयास नहीं हुआ।

मंडी में शेर और पूरे प्रदेश में ढेर होने के पीछे यह भी एक बड़ा कारण माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने पांच साल में अपने ही जिले में दौरों को ज्यादा तरजीह दी जबकि पूरे प्रदेश को जो एक मुख्यमंत्री से एक समान दृष्टि की उम्मीद होती है वह पूरी नहीं हो पाई। मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर को लेकर यह बात डंगे की चोट पर कही जाती रही है कि वह एक शरीफ इंसान हैं और सबके लिए आसानी से सुलभ हैं। अब राजनीति में उनकी यह शराफत ही शायद उनके लिए आफत बन गई। अपने मंत्रियों और अधिकारियों पर शिकंजा न कसा जाना एक बड़ा कारण इस परिणाम में जोड़ा जा सकता है। हैरानी तो यह है कि कांग्रेस के मुकाबले में कई गुणा धुआंधार प्रचार, जोरदार संगठन, दिल्ली से पूरा बरदहस्त, डब्बल इंजन की सरकार होने के बावजूद भी बहुमत के आंकड़े तक न पहुंच पाना एक बड़ा सवाल खड़ा कर गया है जिसके जवाब का अब इंतजार लोगों को रहेगा।