मंडी: पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा डाक्टरों का एनपीए बंद करने का ऐलान अपने आपमें जनविरोधी है। यहां पत्रकारों से बात करते हुए जयराम ठाकुर ने कहा कि सरकार के इस फैसले का भारतीय जनता पार्टी न केवल विरोध करती है, बल्कि डाक्टरों के साथ खड़ी है। उन्होंने कहा कि सरकार का यह फैसला केंद्र सरकार की ओर से 1971 में जारी अधिसूचना का उल्लंघन है। जिसमें कहा गया है कि डाक्टरों मनुष्य जीवन से सीधा संपर्क है। इस नोबल प्रोफेशन ऐथिक्स बने रहने चाहिए। वहीं पर ब्रेनड्रेन को रोकने की आवश्यक्ता है।
उन्होंने कहा कि देश के अधिकांश राज्यों में एनपीए दिया जाता है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय के पश्चात डाक्टरों का भविष्य ही नहीं बल्कि लोगों का जीवन भी संकट में डाल दिया है। जयराम ने कहा कि हिमाचल की सुक्खू सरकार के इस निर्णय से देश हतप्रभ है। बोले, कुछ आईएएस अधिकारी इस प्रयास में रहते हैं कि डाक्टर उनसे अधिक तनख्वाह न ले। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने दो मार्च 2022 में निर्णय लिया था कि डाक्टरों की तनख्वाह दो लाख पचीस हजार से कम दो लाख 24 हजार से ज्यादा नहीं होगी । क्योंकि दो लाख पचीस हजार चीफ सेक्रेटरी की तनखवाह है। एक डाक्टर तैयार करने में करीब साढ़े पांच साल का समय लगता है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश नेशनल हैल्थ पैरामीटर में खरा उतरता है। वर्तमान में प्रदेश में 2760 डाक्टर सेवारत हैं। जबकि आबादी के अनुपात के आधार पर सात हजार के करीब डाक्टर होने चाहिए। जयराम ने कहा कि हमारी सरकार ने प्रदेश के इतिहास में पहली बार एक साथ पांच सौ डाक्टरों के पद सृजित किए और तीन सौ के करीब डाक्टरों की भर्ती भी कर दी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के गरीब घरों के बच्चों ने एमबीबीएस करने के लिए स्टडी लोन एवं अपने रिश्तेदारों से कर्ज लेकर पढ़ाई की है।
उन्होंने कहा कि इस बारे में जब स्वास्थ्यमंत्री कर्नल धनीराम शांडिल्य से प्रतिनिधिमंडल मिला तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। जबकि 17 मई की जिस कैबिनेट मीटिंग में ये फैसला लिया गया उसमें मंत्री जी स्वयं मौजूद थे। अब ऐसे में सवाल पैदा होता है कि स्वास्थ्य मंत्री आखिर कैबिनेट में क्या करने जाते हैं। उन्हें यही मालूम नहीं कि उनके विभाग का कौन सा फैसला आज कैबिनेट में लिया जाना है और क्या निर्णय हुआ। उसी कैबिनेट में आइटम नंबर 33 में ये एनपीए का फैसला लिया गया था जिसमें मंत्री जी बैठे थे। उन्होंने कहा कि सरकार के इस फैसले के बाद पूरे प्रदेश में डाक्टरों ने हड़ताल का फैसला लिया था और हमसे भी इनके प्रतिनिधि लगातार संपर्क कर रहे हैं लेकिन हमने उन्हें ऐसा न करने को कहा है क्योंकि सारे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं अचानक हड़ताल से एकदम चरमर्रा जाएगी।
जयराम ने कहा कि ये वही ब्यूरोक्रेट्स हैं जो नहीं चाहते कि अपने से ज्यादा सैलरी डाक्टरों की हो। मेरे समय में भी ऐसी प्रपोजल लेकर कैबिनेट में ये आए थे लेकिन हमने इतना तय किया था कि मुख्य सचिव से ज्यादा किसी डॉक्टर की सैलरी न जाए। सरकार के इस फैसले के बाद अब प्राइवेट प्रैक्टिस को बढ़ावा मिलेगा जिसका अतिरिक्त बोझ लोगों की जेब पर ही पड़ेगा। एक डॉक्टर को 24 घंटे हर तरह की इमरजेंसी से निपटने के लिए तैयार रहना पड़ता है। एनपीए देकर सरकार कोई एहसान नहीं करती बल्कि डॉक्टर की मेहनत का उचित मेहनताना ही देती है। जयराम ठाकुर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सरकार के इस फैसले का विरोध करती है और सरकार को चेताती है कि अगर ये फैसला वापस न लिया तो भाजपा ही प्रदर्शन करेगी क्योंकि हम नहीं चाहते लोगों की सेवा में तैनात डॉक्टरों को हड़ताल पा जाने की नौबत आए। इस अवसर पर बल्ह के विधायक इंद्र सिंह गांधी और जिला भाजपा अध्यक्ष रणवीर सिंह भी मौजूद रहे।