हिमाचल विधानसभा के मानसून क्षेत्र के अंतिम दिन आर्थिक संकट पर चर्चा के दौरान विपक्ष ने सदन में जमकर हंगामा किया । मुख्यमंत्री जैसे ही चर्चा में अपना जवाब देने लगे तो विपक्ष ने सदन में हंगामा कर दिया और सरकार पर झूठी गारंटी देकर प्रदेश की जनता को गुमराह करने के आरोप लगाए। विपक्ष ने आरोप लगाया कि प्रदेश में सत्ता हासिल करने के लिए कांग्रेस ने चुनावो के समय 10 गारंटिया दी थी लेकिन 20 महीने बीत जाने के बाद भी प्रदेश में एक गारंटियों को पूरी नहीं किया। बल्कि जो पूर्व सरकार द्वारा योजनाएं चलाई गई थी उन्हें भी बंद कर दिया गया है।
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि मानसून सत्र के दौरान आर्थिक स्थिति पर चर्चा को लेकर नियम 67 के तहत स्थगन प्रस्ताव विपक्ष की तरफ से दिया गया लेकिन इस पर सरकार ने चर्चा नहीं दी। सरकार इस पर चर्चा नहीं करना चाहती थी लेकिन जब विधानसभा अध्यक्ष के पास विपक्ष पहुचा ।उसके बाद आर्थिक स्थिति पर चर्चा शुरू हुई आज मुख्यमंत्री जब इसको लेकर जवाब देने लगे तो गैर जिम्मेदाराना तरीके से जवाब दे रहे थे।
मुख्यमंत्री गुमराह कर रहे थे यदि हिमाचल में आर्थिक संकट है तो सरकार को उसे स्वीकार करना चाहिए और एक तरफ से वह कह रहे हैं कि आर्थिक संकट नहीं है तो दूसरी तरफ से फिर कर्मचारियों को समय पर वेतन क्यों नहीं दिया जा रहा है और जो 20 महीने से कांग्रेस की सरकार जुमले पड़ रही है वह आज भी पड़े जा रहे हैं और इसके लिए भाजपा सरकार और केंद्र सरकार को जिम्मेदार बताया जा रहा है। मुख्यमंत्री हमें नसीहत न दे । पूर्व की सरकार ने 125 यूनिट बिजली प्रदेश वासियों को मुफ्त में दी थी लेकिन कांग्रेस सरकार ने सत्ता में आने के लिए 300 यूनिट बिजली देने के वादा किया, 5 लाख बेरोजगारों को रोजगार देने के साथ ही दूध और गोबर खरीदने तक की गारंटी दी थी लेकिन अब इन गारंटी से सरकार मुकर रही है। मुख्यमंत्री को किसके लिए प्रदेश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।