<p>मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि प्रदेश के किसानों की आय साल 2022 तक दोगुना करने के उद्देश्य से राज्य सरकार किसान संगठनों और स्वयं सहायता समूहों के सशक्तिकरण, कृषि विविधिकरण योजनाओं को लागू करने और मूल्यवर्धन आदि पर विशेष ध्यान केंद्रित कर रही है। मुख्यमंत्री आज धर्मशाला में फसल विविधिकरण का किसानों की आय और खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव विषय पर आयोजित अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यशाला का आयोजन प्रदेश के कृषि विभाग ने किया। प्रदेश के अधिकांश किसान लघु एवं सीमांत हैं। उन्होंने कहा कि कृषि विभाग ने कृषि विविधिकरण के लिए पांच जिलों में ‘जीका’ को एक ऋण परियोजना प्रस्तावित की है। इसके लिए फरवरी, 2011 में समझौता किया गया था, जिसकी कुल परियोजना लागत 321 करोड़ रुपये है और इसमें से 286 करोड़ रुपये के रूप में है।</p>
<p>उन्होंने कहा कि इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य कृषि विविधिकरण के माध्यम से सब्जियों का उत्पादन बढ़ाना, सीमांत एवं लघु किसानों की आमदनी में वृद्धि, सिंचाई के लिए अधोसंरचना स्थापित करना, विपणन, खेतों तक सड़क सुविधा और कृषि विकास संस्थाओं की स्थापना है। इस परियोजना को जीका के तकनीकी सहयोग परियोजना (टीसीपी) के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सिंचाई सुविधा प्राप्त होने और सब्जियों के उत्पादन में वृद्धि से किसानों की आय बढ़ी है। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस परियोजना के अंतर्गत कृषि विविधिकरण योजना का कार्यान्वयन प्रगति पर है और अधिकांश स्थानों पर संग्रहण केंद्रों के निर्माण, सड़कों की पहुंच, सोलर पंपिंग प्रणाली, लघु सिंचाई सुविधाओं, पॉली हाउस, केंचुआ खाद इकाइयों आदि का कार्य पूरा हो चुका है और शेष कार्य शीघ्र ही पूरा किया जाएगा।</p>
<p>उन्होंने कहा कि इस परियोजना की सफलता के लिए सिंचाई व्यवस्था की योजना, निष्पादन और रख-रखाव के लिए सामुदायिक सहभागिता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि कृषण विकास संस्थाएं बाड़बंदी और पानी के बिलों को लेने का कार्य कर रही हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में गैर मौसमी सब्जी उत्पादन के लिए व्यापक संभावनाएं हैं। प्रदेश सरकार ने 59 मंडियों का निर्माण किया है, ताकि किसानों को उनके उत्पादन के बेहतर दाम मिल सके। मंडियों तक किसानों की पहुंच सुगम बनाने के लिए और मंडियों के निर्माण की आवश्यकता है और इन्हें राष्ट्रीय कृषि मार्केट से जोड़ा जाएगा। राज्य सरकार ने इन परियोजनाओं में पॉली हाउस उत्पादन को जोड़ा है, ताकि किसानों को गुणात्मक पौधे प्रदान किए जा सकें। इसके अतिरिक्त पहाड़ी क्षेत्रों के लिए उपयोगी मशीनरी जैसे पावर विडर आदि भी कृषि विकास संस्थाओ के माध्यम से उपलब्ध करवाई जा रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जीका परियोजना के 1104 करोड़ रुपये के दूसरे चरण को निधिकरण के लिए प्रस्तुत किया गया है, जो राज्य के सभी 12 जिलांे में कार्यान्वित की जाएगी। उन्होंने कहा कि जंगली जानवरों से फसलों की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार ने सौर बाड़बंदी परियोजना आरंभ की है।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>जयराम ठाकुर ने इस अवसर पर कई स्मारिकाएं और प्रकाशनों का विमोचन किया</strong></span></p>
<p>कृषि मंत्री डॉ रामलाल मारकण्डा ने कहा कि इस कार्यशाला के दौरान तीन तकनीकी सत्रों में उच्च और टिकाउ उत्पादन प्रणाली के लिए जलवायु स्मार्ट विविध खेती, किसान संगठनों के माध्यम से किसानों का सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण, संयुक्त परिसंपत्ति प्रबंधन के लिए स्वयं सहायता समूह और फसलों के उत्पादन व उनके मंडीकरण के तालमेल की श्रृंखलाओं आदि पर महत्वपूर्ण चर्चा हुई। उन्होंने कहा कि प्रदेश की आर्थिकी को संबल देने में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुना करने के लिए प्रदेश सरकार प्रयासरत है, जिसमें जीका महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।</p>
<p>जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग ऐजेंसी (जीका) के भारत में तैनात मुख्य प्रतिनिधि मात्सुओमोतो कात्सुओ समारोह में मुख्य विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि जीका हिमाचल सरकार को हर संभव सहायता प्रदान करने के लिए तत्पर है, ताकि राज्य में जीका परियोजना को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया जा सके। उन्हांेने कहा कि मशरूम की एक नई किस्म ‘शीटेक’ राज्य में प्रचलित की गई है, जिसकी अत्यधिक औषधीय और पौष्टिक गुणवत्ता है। कृषि विभाग के प्रधान सचिव ऑकार शर्मा ने कहा कि कृषि विविधिकरण की वास्तविक क्षमता को जानने के लिए वर्ष 2007 से 2009 तक दो वर्ष के लिए अध्ययन किया गया, जिसको जीका ने सहयोग दिया। कृषि विभाग के निदेशक डॉ आर के कौंडल ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।</p>
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