भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन चंद्रमा का दर्शन मिथ्या कलंक देने वाला होता है इसलिए इस दिन चंद्र दर्शन करना मना होता है। इस चतुर्थी को कलंक चौथ के नाम से भी जाना जाता है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 18 सितंबर को दोपहर 12:39 बजे शुरू होगी और 19 सितंबर को दोपहर 01:43 बजे तक रहेगी।ज्योतिष क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय स्तर ख्याति प्राप्त कर चुके जवाली के ज्योतिषी पंडित विपन शर्मा ने बताया कि इस बार 18 सितंबर 2023 को इस व्रत का प्रतिपादन होगा। कहा जाता है कि भगवान श्रीकृष्ण पर भी इस तिथि को चंद्र दर्शन करने के पश्चात मिथ्या कलंक लगा था।
पौराणिक कथा के अनुसार भगवान गणेश का पेट और गजमुख रूप देखकर चंद्रमा हंस पड़े जिस पर भगवान गणेश क्रोधित हो गए तथा उन्होंने चंद्रमा को श्राप दे दिया। उन्होंने चंद्रमा से कहा कि तुम्हें अपने रूप पर बहुत घमंड है, इसलिए अब यदि भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की रात्रि को कोई तुम्हें देख लेगा तो उसे मिथ्या कलंक लगेगा। इस श्राप के कारण चंद्रमा का आकार धीरे-धीरे कम होने लगा। चंद्रमा ने श्राप से मुक्ति पाने के लिए भगवान शिव की अराधना की।
भगवान शिव ने चंद्रमा को भगवान गणेश की पूजा करने की सलाह दी। तब गणेश ने कहा कि मेरे श्राप का प्रभाव तो ख़त्म नहीं होगा लेकिन मैं इसका प्रभाव कम कर दूंगा। इससे आप 15 दिन तक क्षयग्रस्त हो जाएंगे परंतु फिर बड़े होकर पूर्ण रूप प्राप्त कर लेंगे। साथ ही भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन जो कोई तुम्हें देखेगा उसे मिथ्या कलंक लगेगा। ऐसा कहा जाता है कि तबसे भाद्रपद मास की चतुर्थी को चंद्रमा को कोई नहीं देखता है और तभी से इसे कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है। इस दिन भगवान गणेश का पूजन करने से जीवन के दोष दूर हो जाते हैं तथा सुखों की प्राप्ति होती है।
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