<p>मछली खाने के शौकीनों के लिए अच्छी खबर है। करीब दो महीने बाद पौंग छील में मत्स्य आखेट पर लगा प्रतिबंध अब हट गया है। अब लोग पौंग झील की स्वादिष्ट मछली का स्वाद चख पाएंगे। सोमवार को पौंग झील से राहु, सिंघाड़ा, कतला और महाशेर प्रजातियों की मछली खाने वाले शौकीनों को पौंग झील की स्वादिष्ट मछली का स्वाद फिर से मिलना शुरू हो गया है । पौंग बांध की 15 सहकारी सभाओं में आज करीब एक टन मछली पंहुचने का अनुमान है।</p>
<p>बता दें कि पौंग झील में सबसे अधिक सिंघाड़ा प्रजाती की मछली का उत्पादन होता है । इस बार भी सिंघाड़ा फिश भारी मात्रा में फिश लैंडिंग सेन्टरों में पंहुची है । पंजीकृत शिकारी मछली का शिकार कर सहकारी सभाओं में ठकेदरो के पास यह मछली बेचते हैं। ठेकेदारो के माध्यम से यह फिश देश और प्रदेश की अलग अलग फिश मार्केट मे पंहुचती है । इसी के साथ देश और प्रदेश में तवा फिश के नाम से मशहूर हुई खटियाड़ तवा फिश मार्केट की रोनक भी आज से फिर से लोट आएगी ।<br />
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हिमाचल प्रदेश मत्स्य विभाग के पौंग बांध मे तैनात फिशरी ऑफिसर पंकज पटियाल ने बताया की कोरोना काल और बंद सीजन के बाद आज फिश मार्केट में पंहुच चुकी है । पौंग बांध की मछली स्वादिष्ट होने के कारण इसके दाम भी शिकारियों को अच्छे मिलते हैं । इस बार भी सिंघाड़ा फिश रिकोर्ड तोड़ मार्केट में पंहुची है । उन्होंने बताया कि इस बार पौंग झील में 30 लाख रुपए का मछली का बीज डाला जाएगा जबकि पूरे प्रदेश की झीलों में 65 लाख रुपए से अधिक मछली के बीज डालने का लक्ष्य रखा है।</p>
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