<p>कांगड़ा सैंट्रल को-ऑप्रेटिव बैंक में नियुक्तियों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गई है। हिमाचल प्रदेश में पिछली कांग्रेस सरकार के समय कांगड़ा बैंक में जो नियुक्तियां निकाली गई थी उनके नतीजे अभी तक नहीं आए थे और इसी दौरान आचार संहिता प्रदेश में लग गई। उसके बाद में नियुक्तियों को लेकर सारा मामला एक तरह से जांच के घेरे में आ गया। </p>
<p>पूर्व कांगड़ा बैंक अध्यक्ष रसील सिंह मनकोटिया ने नियुक्तियों की जांच की मांग मौजूदा बीजेपी सरकार से की थी और सरकार ने बकायदा इस मामले की जांच बिठा दी है। अब जल्दी ही सच सामने आने वाला है। लेकिन, इन सबके बीच पूर्व कांगड़ा बैंक अध्यक्ष जगदीश सिपहिया का कहना है कि अगर जांच में धांधलियां हुई हैं तो सरकार इनको जनता के सामने उजागर करें ताकि जिन युवाओं की नौकरी धांधलियों के नाम पर सरकार छीनने जा रही है या छीनने का प्रयास कर रही है उनको भी सच का पता चल सके।</p>
<p>सिपहिया ने कहा कि शिक्षा बोर्ड बैंक भर्तियां करवाने के लिए एक उपयुक्त संस्था थी और हमने उसके माध्यम से ही यह भर्तियां करवाई थी। उन्होंने दावे के साथ कहा कि अगर इन भर्तियों को रद्द किया जाता है तो यह एक दुर्भाग्यपूर्ण फैसला मौजूदा बीजेपी सरकार का होगा। </p>
<p>वहीं, कांगड़ा बैंक के मौजूदा अध्यक्ष राजीव भारद्वाज ने कहा कि फैसला सरकार तथ्यों के आधार पर लेगी और किसी तरह का अन्याय किसी के साथ नहीं होगा। उन्होंने कहा कि नियुक्तियों को लेकर अगर कोई धांधली हुई होगी और उसके सबूत मौजूद होंगे तो जल्दी ही जांच का फैसला भी आ जाएगा।</p>
<p>गौरतलब है कि साक्षात्कार के एक साल बाद भी नियुक्ति पत्र न मिलने से युवा खासे परेशान हैं। कांगड़ा केंद्रीय सहकारी बैंक ने सहायक प्रबंधक और कंप्यूटर ऑपरेटर पदों के लिए जुलाई 2017 में परीक्षा ली थी। शिक्षा बोर्ड की ओर से ली गई परीक्षा में सवा लाख के करीब युवाओं ने भाग लिया था। लिखित परीक्षा में 731 आवेदक पास हुए थे। इसके बाद अक्तूबर 2017 में ही साक्षात्कार प्रक्रिया पूर्ण कर ली गई। इसके बाद साक्षात्कार का रिजल्ट आज तक घोषित नहीं हुआ है।</p>
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