<p>विकास खंड फतेहपुर के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत भरमाड़ में पंचायत प्रधान सहित अन्य प्रतिनिधियों के रहमोकरम से तीन परिवार सरकारी पदों पर आसीन होने के बावजूद भी सरकार द्वारा दिए जाने वाले सस्ते राशन को हड़पते रहे और गरीबों का हक मारते रहे। ग्राम पंचायत भरमाड़ के वार्ड न. 2 के दो परिवार सरकारी नौकरी प्राप्त करने के उपरांत भी कई सालों से सरकारी सस्ता राशन खाकर सरकार को हजारों रुपए का चूना लगा चुके हैं।</p>
<p>जानकारी के अनुसार भरमाड़ पंचायत के वार्ड न. 2 के शाम सिंह और उसकी पत्नी किरण बाला दोनों लगभग अढाई वर्षो से शिक्षा विभाग में अध्यापक के पद पर सरकारी सेवाएं दे रहे हैं, इसी वार्ड के जोगिंदर सिंह पुत्र ज्ञान के दो बेटे पिछले चार वर्ष से सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं, वहीं वार्ड न. 9 में एक साल पहले शादी लाल पुत्र महलू राम को भी सरकारी नौकरी मिल गई । लेकिन वे भी सस्ता राशन को पंचायत प्रधान सहित प्रतिनिधियों की मिलीभगत से सरकारी राशन लेते रहे। पंचायत प्रधान सहित अन्य प्रतिनिधियों ने उनका नाम सरकारी राशन से कटवाना मुनासिब नहीं समझा।</p>
<p>पंचायत प्रधान यह कहकर अपना पल्लू झाड़ रही हैं कि उनको इसकी जानकारी नहीं दी गई। आखिरकार पंचायत प्रधान के घर के पास से ही यह तीनों मामले हैं जिनको पंचायत की मेहरबानी से राशन मिलता रहा। इसकी भनक लगने पर पंचायत प्रधान ने अपने बचाव के चलते 21 मई 2020 को पंचायत में प्रस्ताव पारित करके उनका नाम सस्ते राशन से काट दिया।</p>
<p>आखिरकार सवाल उठता है कि पंचायत ने नॉकरी मिलने उपरांत उक्त परिवारों को सस्ते राशन से काटा क्यों नहीं। क्या वोट की राजनीति होती रही। बुद्धिजीवियों ने पंचायत प्रधान सहित प्रतिनिधियों व उक्त परिवारों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की मांग मुख्यमंत्री व खाद्य आपूर्ति मंत्री से उठाई है ताकि भविष्य में कोई भी पंचायत ऐसी लापरवाही को अंजाम ही न दे पाए।</p>
<p>इस मामले में डिपो सेल्जमैन सुमन लता ने बताया कि उन्हें पंचायत प्रधान ने नाम काटने की प्रस्ताव की कापी देने की जगह एक सादे कागज पर लिख कर दिया था। मैंने पंचायत प्रस्ताव की असली कापी मिलने के बाद नाम काटने की बात कही थी जबकि मुझे पंचायत प्रधान ने प्रस्ताव की असली कॉपी नहीं दी।</p>
<p>वहीं, मामले को लेकर खाद्य आपूर्ति विभाग फतेहपुर के निरीक्षक सुरिन्द्र राठौर का कहना है कि अगर पंचायत में ऐसा हुआ है तो मामले की जांच की जाएगी। सरकारी नौकरी मिलने के बाद तुरन्त नाम कटवाना पड़ता है। छानबीन के बाद अगर कोई मामला निकलता है तो मार्किट रेट के अनुसार रिकवरी की जाएगी।</p>
<p>उधर, पंचायत सचिव मोनिका ठाकुर का कहना है कि कि जब किसी व्यक्ति को सरकारी नौकरी मिलती है तो उसका फर्ज बनता है कि वो सरकारी योजना के लाभ से अपना नाम कटवा दे या पंच और प्रधान उनका नाम कटवाएं।</p>
<p>वहीं, इस संदर्भ में पंचायत प्रधान सुषमा देवी का कहना है कि सरकारी नौकरी मिलने के उपरांत उन्होंने इस विषय में कोई जानकारी नहीं दी। उन्होंने कहा कि जैसे ही जानकारी मिली तो प्रस्ताव डालकर उनका नाम काट दिया गया।</p>
<p>इस बारे में बीडीओ फतेहपुर ज्ञान प्यारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि अगर भरमाड़ पंचायत में ऐसा हुआ है तो इस पर कार्रवाई की जाएगी।</p>
NPS employees Himachal DA update: हिमाचल प्रदेश सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत…
Festive financial boost for Himachal: वित्तीय संकट से जूझ रहे हिमाचल प्रदेश को केंद्र सरकार…
Yamuna Sharad Festival 2024: नगर निगम पांवटा साहिब द्वारा आयोजित ‘यमुना शरद महोत्सव’ इस वर्ष…
Masked Attacker Injured Schoolgirl: कांगड़ा के रक्कड़ में एक दसवीं कक्षा की छात्रा पर अज्ञात…
District Athletics Meet: गुरुवार दोपहर को हमीरपुर के सिंथेटिक ट्रैक पर जिला स्तरीय एथलेटिक्स मीट…
Prostration Journey to Mata Bala Sundari: हरियाणा के करनाल से श्रद्धालुओं का एक जत्था…