<p>पौंग झील में मछली पकड़कर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले मछुआरों सहित पौंग की मछली खाने के चाह्वानों के लिए राहत भरी खबर आई है । जिला प्रशासन कांगड़ा ने आज पौंग झील में मत्स्य आखेट पर लगी रोक हटा दी है । इस बारे में जानकारी देते हुए उपायुक्त कांगड़ा राकेश प्रजापति ने बताया कि अधिकारियों से मिली रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ दिनों से झील में कोई भी पक्षी मृत नहीं मिला है। इसी रिपोर्ट के आधार पर आज से झील पर लगी रोक को हटाने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। </p>
<p>बता दें कि कांगड़ा की पौंग झील में बर्ड फ्लू के चलते प्रवासी पक्षियों की मौत के बाद झील में मछली पकड़ने व सभी गतिविधियों पर रोक लगाई गई थी । पौंग झील में आज से करीब 40 दिन पहले प्रवासी पक्षियों की मौत का सिलसिला शुरू हुआ था। झील में अब तक 5,004 प्रवासी पक्षी अब तक मृत मिल चुके हैं। पक्षियों के मृत मिलने से प्रदेश सरकार को जिला प्रशासन अलर्ट हो गई था। मृत पक्षियों के सैंपल जांच को पहले जालंधर और फिर भोपाल लैब भेजे थे। दोनों की लैब से बर्ड फ्लू की पुष्टि हुई थी। इसके बाद डीसी कांगड़ा राकेश प्रजापति ने अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए झील में सभी प्रकार की गतिविधियों पर रोक लगाने के आदेश जारी किए थे। </p>
<p>इसके साथ ही पौंग झील के एक किलोमीटर एरिया को अलर्ट जोन घोषित किया है और एक किलोमीटर के बाद के 9 किलोमीटर क्षेत्र को निगरानी जोन घोषित किया है। पौंग झील में मछली पकड़ने और पशुओं को छोड़ने को लेकर सख्त मनाही है। नियमों की अवहेलना करने वालों को पचास हजार जुर्माने के साथ कानूनी कार्रवाई का प्रावधान किया गया है। इसी के चलते एक माह से अधिक समय से मछुआरे पौंग झील में मछली पकड़ने नहीं जा पा रहे हैं। उनकी नावें सूखें में पड़ी हैं। साथ ही मछली पकड़ने के जाल भी पानी में हैं। वहीं, पौंग की मछली के चटकारे लगाने वालों को भी मछली नहीं मिल पा रही है। </p>
<p>गौरतलब है कि पौंग झील की मछली की डिमांड पंजाब तक है। संगाड़ा प्रजाति की मछली पंजाब में बहुत पसंद की जाती है और अच्छे दामों पर बिकती है। पहले कोरोना के चलते और अब बर्ड फ्लू के कारण पौंग की मछली खाने के चाहवान इससे वंचित रह रहे थे। वहीं, सैकड़ों की संख्या में लोग मछली पकड़ने के कारोबार से जुड़े हैं। कुछ की इनकम का सोर्स ही मछली है।</p>
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