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शहीदों को सलाम: दो दोस्तों ने साथ शुरू की जिंदगी, साथ ही दुनियां से हुए रुख़स्त

नवनीत बत्ता, हमीरपुर |

दो दोस्तों की एक अनोखी कहानी जो आज भी है क्षेत्र के लोगों की जुबानी। जी हां यहां बात हो रही है कि कारगिल में शहीद हुए हवलदार कश्मीर सिंह और हवलदार राज कुमार की, जिन्होंने एक साथ ही आर्मी ज्वॉइन की और एक साथ ही देश के लिए अपनी जान दे दी। 

हमीरपुर ऊहल के शहीद हवलदार कश्मीर सिंह और बगलू के शहीद हवलदार राजकुमार ने एक साथ एक स्कूल में पढ़ाई की है और एक साथ एक ही दिन देश की सेवा के लिए भर्ती हुए। जब कारगिल का युद्ध हुआ उसमें उन्होंने डट कर दुश्मनों का सामना करते हुए देश के लिए अपनी जान न्यौछावर कर दी। अनोखी बात ये रही कि जो जिंदगी उन्होंने साथ शुरू की थी, वो एक साथ ही खत्म हुई। आज भी क्षेत्र के लोग उनकी दोस्ती की मिसाल देते हैं।

भारत-पाक के बीच 1999 में हुए कारगिल युद्ध में हिमाचल प्रदेश के 52 वीर जवान देश की रक्षा करते हुए कारगिल और द्रास की बर्फीली पहाड़ियों में वीरगति को प्राप्त हुए थे। इन 52 वीर जवानों में से जिला हमीरपुर से 8 जवान शहीद हुए थे, जिसमें बमसन के सबसे ज्यादा 6 जवान शामिल थे। इनकी याद में नेहरू युवक केंद्र हमीरपुर ने बमसन क्षेत्र के मुख्यालय स्थित राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक स्कूल टौणी देवी में शहीदों का स्मारक बनाया है। 

बमसन के अंद्राल गांव का सिपाही दिनेश कुमार जोकि 3-पंजाब रेजीमेंट में था 17 जून, 1999 को शहीद हुआ। समलेड़ा गांव का हवलदार स्वामी दास चंदेल जोकि 12-ग्रनेडियर में भर्ती था 3 जुलाई, 1999 को शहीद हो गया। इसी तरह 6 जुलाई, 1999 को कचपलाही गांव का सिपाही राकेश कुमार 27-राजपूत रेजीमेंट का, सुनहनी गांव का प्रवीण कुमार जोकि 13-जैक राइफल और बरोटी गांव का दीप चंद 13-जैक राइफल एक ही दिन वीरगति को प्राप्त हुए थे। वहीं 18 जुलाई, 1999 को तनैंकर गांव का सुनील कुमार, 25-राजस्थान राइफल शहीद हुआ था। 

कश्मीर सिंह के नाम पर क्षेत्र में एक स्कूल का नामकरण भी किया गया है। ऊहल गांव से 14 जैक रेजीमेंट के शहीद हवलदार कश्मीर सिंह के नाम पर सलौणी में पेट्रोल पंप खोला गया है और उनके बेटे को सेना में नौकरी मिली थी।