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करूणामूलकों की भूख हड़ताल को एक साल, शिमला डीसी ऑफिस के बाहर गरजेंगे आश्रित

कल करुणामूलक आश्रितों की गरजना जिला शिमला डीसी ऑफिस के बाहर जोरों शोरो से देखने को मिलेगी जिसमें हजारों करुणामूलक आश्रित और सरकार के प्रति रोष प्रकट करेंगे

पी. चंद |

शुक्रवार को करूणामूलक आश्रितों की गरजना जिला शिमला डीसी ऑफिस के बाहर जोरों शोरो से देखने को मिलेगी जिसमें हजारों करुणामूलक आश्रित और सरकार के प्रति रोष प्रकट करेंगे. करुणामूलक आश्रित सरकार के प्रति कल आक्रोश रैली के माध्यम से रोष प्रकट करेंगे, 29 जुलाई को करुणामूलक आश्रितों को शिमला में क्रमिक भूख हड़ताल में बैठे हुए एक साल पुरा हो जायेगा और दूसरी तरफ उसी उपलक्ष में सरकार के खिलाफ कल करुणामूलक गरजेंगे और अगर ऐसा ही चलता रहा.

तो सरकार की ऐसी नजरंदाजी आने वाले विधानसभा चुनावों में सरकार को भारी पड़ सकती है क्योंकि करुणामूलक संघ के प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार ने आज इस आक्रोश रैली के माध्यम से सरकार को जताते हुए कहा है कि रिवाज तभी बदलेगा जब करुणामूलक नोकरियां बहाल होंगी वरना प्रदेश भर के करुणामूलक आश्रित ताज बदलने में कोई कसर नही छोड़ेंगे. अभी भी सरकार के पास समय है करुणामूलक पादधिकारियों को बातचीत के लिए बुलाया जाए व बातचीत के जरिये हल निकाले. कल की रैली में करूणामूलकों की दहाड़ सरकार को महंगी पड़ सकती है. सरकार अगर आगामी कैबिनेट में कुछ फैसला नही लेती है तो आने वाले विधान सभा सत्र में 13 अगस्त को शिमला में जोरों शोरों से करुणामूलक आश्रितों द्वारा हल्लाबोल किया जायेगा.

बता दें की करुणामूलक संघ 364 दिन से शिमला क्रमिक भूख हड़ताल पर है कल करुणामूलक आश्रितों को क्रमिक भूख हड़ताल को एक साल पुरा हो जायेगा और इनके रोष के चलते हर जिले से संघ ने रैली व धरना प्रदर्शन का ऐलान कर दिया है जिला कांगडा में पालमपुर में करुणामूलक अपना हल्ला बोल कर चुके है और कल जिला शिमला उपयुक्त कार्यालय के बाहर गरजने वाले है और ठीक उसके बाद विधान सभा सत्र में गरजने को पूरी तरह तैयार है.

करूणामूलकों की मुख्य मांगे

* समस्त विभागों, बोर्डों, निगमों ब यूनिवर्सिटी में लंबित पड़े क्लास-सी के करुणामूलक आधार पर दी जाने वाली नोकरियों के केसों छठे वेतन आयोग मे छूठ देकर को जो 7/03/2019 की पॉलिसी मे आ रहे हैं उनको वन टाइम सेटलमेंट के तेहत सभी को एक साथ नियुक्तियाँ दी जाए.
* क्लास -डी में जीतने भी मामले विभागों, बोर्डों और निगमों के पेंडिंग वित विभाग के पास फंसे है उन्हे जल्द कैबिनेट में लाकर मोहर लगाई जाए.
* पॉलिसी में संशोधन किया जाए व 62500 एक सदस्य सालाना शर्त को हटाया जाए.