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सरकार की योजनाएं बना रही महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वाबलंबीः कविता गुप्ता

<p>खुशहाल और समृद्ध जीवन की राह को सहज बनाने के लिए धैर्य और आत्म विश्वास से स्वरोजगार के क्षेत्र में अपनी सकारात्मक भूमिका का निर्वहन करती कविता गुप्ता न केवल महिलाओं के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बनकर उभर रहीं है, अपितु पर्यावरण और वातावरण संरक्षण तथा इसे पवित्र बनाने के इनके प्रयास सृष्टि की सृजनकारी शक्ति की एक नयी पहचान को भी दिखा रही हैं। बिलासपुर जिला सदर विधानसभा क्षेत्र के कोठीपुरा गांव की कविता गुप्ता ओद्यौगिक क्षेत्र बिलासपुर में आर्दश कामधेनु इंटरप्राईजिस के नाम से घूप अगरबत्ती, हवन सामग्री और समधा इत्यादि 20 से भी अधिक उत्पाद तैयार करके पर्यावरण के क्षेत्र में एक नये और अनूठे अध्याय का पहल कदमी कर रही हैं। यह अत्यन्त खुशी की बात है कि उत्तरी भारत में कविता गुप्ता का उद्योग संस्थान मात्र एक ऐसा उत्पाद केन्द्र है, जहां से तैयार होने वाले प्रत्येक उत्पाद में पर्यावरण और वातावरण में सात्विक, पवित्र, शुद्धता और सकारात्मक ऊर्जा अर्जित करने वाले देसी गाय के गोबर को किसी न किसी मात्रा में अवश्य प्रयोग में लाया जाता है।</p>

<p>देसी गाय के गोबर को सूखाकर मशीन में पीसा जाता है, तेल, गुगल, लोबान, मोगरा और चन्दन पाऊडर इत्यादि को अलग-अलग अनुपात में मिश्रित करके मशीनों के माध्यम से तरह-तरह के पर्यावरण संरक्षण सहायक उत्पाद निर्मित किए जाते है। पेडों को कटने से बचाने के लिए कविता गुप्ता ने हवन कुंड में प्रयुप्त होने वाली लकड़ी के विकल्प के रूप में देसी गाय के गोबर से निर्मित लकड़ी &lsquo;&lsquo;समधा&lsquo;&lsquo; का उत्पाद तैयार किया है। इस समधा के हवन यज्ञ में प्रयोग करने पर जहां आक्सीजन ही उत्पन्न होती है, वहीं जीवन रक्षक प्रणाली भी सुदृढ़ होती है। उत्तर भारत के प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नैना देवी जी, ज्वालाजी और बगलामुखी इत्यादि बहुत से मंदिरों में इस समधा का प्रयोग किया जा रहा है।</p>

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<p>कविता गुप्ता को अपना धूप अगरबत्ती का व्यवसाय स्थापित करने के लिए प्रधानमत्रीं रोजगार सृजन योजना के अन्तर्गत 25 लाख रूपए की राशि प्राप्त हुई। जिस में से 9 लाख रूपए की राशि उपदान के रूप में मिली। कविता गुप्ता का कहना है कि सरकार द्वारा महिलाओं को आत्मनिर्भर और स्वाबलंबी बनाने के लिए अनेकों योजनाएं चलाई जा रही हैं। महिलायें इन योजनाओं का लाभ उठाकर न केवल अपने कौशल के बल पर अच्छी खासी आय अर्जित करके परिवार की आर्थिकी ही बढ़ सकती है बल्कि उंचाईयों को छूने के अपने सपनों को भी साकार कर सकती हैं।</p>

<p>उनका मानना है कि महिलाओं के उत्थान के लिए चलाई जा रही अनेकों योजनाएं फलीभूत होकर नारी शक्ति के परिवर्तन के प्रबल संकेतों की ओर ईंगत कर के प्रदेश के बढते कदमों की गाथा का खुद ही बखान कर रही है। मंजिल को पाने के लिए हौंसलें की जरूरत होती है और अगर वह हौंसला परिवार और सरकार की ओर से मिले तो सफलता की काटों भरी राह पर मखमली कालीन स्वंय ही बिछ जाते हैं। श्वेत क्रान्ति की संवाहक कविता गुप्ता 25 गिरी नस्ल की देसी गायों के अतिरिक्त सिंध की &#39;साहीवाल&#39;, राजस्थान की &#39;धारपारक&#39;, गुजरात की &#39;गिर&#39; जर्सी इत्यादि 400 गौवंश के माध्यम से प्रतिदिन सात सौ से आठ सौ लीटर दूध का उत्पादन कर रही है। चार आऊटलेटस के द्वारा उपभोक्ताओं को यह दूध उपलब्ध करवाया जा रहा है। दूध की गुणवत्ता और शुद्धता में उत्तमता के चलते निरन्तर बढ़ रही मांग बिलासपुर के श्वेत क्रान्ति अभियान को बल प्रदान कर रही है।</p>

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<p>कविता गुप्ता का गौवंश के प्रति समर्पण, लग्न, परिश्रम और पारम्परिक सदभावना का प्रतिफल है कि साल 2018 में तत्कालीन केन्द्रीय &lsquo;&lsquo;कृषि एंव किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह ने इन्हें गोकूल मिशन के तहत &#39;विश्व दुग्ध दिवस&#39; के मौके पर राष्ट्रीय कृषि विज्ञान भवन दिल्ली में पहाडी और उत्तर पूर्व क्षेत्र के &lsquo;&lsquo;राष्ट्रीय गोपाल रत्न अवार्ड&lsquo;&lsquo; का प्रथम पुरस्कार प्रदान करके इनकी उपलब्धियों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलवायी। उनकी गौशाला की मुख्य विशेषता यह है कि प्रदेश की विलुप्त हो रही भारत की सर्वश्रेष्ठ गिरी नस्ल की गाय के संरक्षण और उसकी उपयोगिता को प्रचारित करने के अतिरिक्त 20 से भी अधिक परिवारों के जीवनयापन के लिए अवसर सुलभ करवाए जा रहे है। स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के लिए इन्हें न केवल आदर्श कामधेनु इंटरप्राईजिस में उत्पाद पैकिंग, तकनीकी मशीनी ज्ञान और विभिन्न उत्पाद तैयार करने का निशुल्क प्रशिक्षण ही उपलब्ध करवाया जा रहा है। दूध उत्पादन के क्षेत्र में जुडे इनके सहयोगी, गौवंश पालन के बेहतर तौर तरीके जानकार भविष्य में अपने स्तर पर इस व्यवसाय को अपनाने की दिशा की ओर भी कदम बढा रहें है।</p>

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