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बहरी सरकार को अपनी व्यथा सुनाने गाजे-बाजे के साथ पहुंचे किसान

पी. चंद, शिमला |

हिमाचल किसान सभा के बैनर तले शिमला के मशोबरा में काले कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर किसानों ने ज़बरदस्त विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में किसान पहाड़ी बाजे के साथ शामिल हुए। नारेबाज़ी के बीच हिमाचल किसान सभा के राज्याध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने जानकारी देते हुए कहा कि किसान आन्दोलन के समर्थन में ऐसे प्रदर्शन प्रदेशभर में किये जा रहे हैं। किसान अपने उत्पाद का न्यूनतम समर्थन मूल्य की मांग करने के लिए पिछले 110 दिन से दिल्ली बॉर्डर पर डटा हुआ है लेकिन केंद्र सरकार किसानों की मांग मानने के लिए तैयार नहीं है।

उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस किसान ने लॉकडाउन और कोविड के संकटकाल में देश की अर्थव्यवस्था को संभाला उस किसान के प्रति केंद्र सरकार का रवैया उदासीनतापूर्ण है। एक तरफ देश और प्रदेश का नौजवान भयंकर बेरोज़गारी से जूझ रहा है, महंगाई चरम पर है, रसोई गैस, पेट्रोल, डीज़ल, खाद्य सामग्री आम आदमी की पहुँच से बाहर हो चुकी है तो दूसरी तरफ सरकार देश की किसानी को नष्ट करने पर तुली है। उन्होंने कहा कि जब तक कृषि कानूनों को वापस नहीं लिया जाता, आन्दोलन जारी रहेगा।

वहीं, हिमाचल में संयुक्त किसान मोर्चा के कोर ग्रुप सदस्य और शिमला नगर निगम के पूर्व महापौर संजय चौहान ने कहा कि वर्तमान कृषि नीतियां लागू करके किसानों को बर्बाद करके ज़मीन और खेती देश के बड़े पूंजीपति और कॉरपोरेट के हवाले करना चाहती है। सरकार दावा कर रही है कि उसने नए कानून बना कर किसानों को अपना उत्पाद बेचने की आज़ादी दी है लेकिन खुली मंडियों का खामियाज़ा सेब उत्पादक पहले भी भुगत चुके हैं। बागवानों का करोड़ों रुपया आज ऐसे ही आढतियों के पास फंसा है जो खुले में मंडी लगाकर बागवानों का करोड़ों का सेब लेकर चम्पत हो गए।