कोटखाई गुड़िया के गरीब पिता को आज भी विश्वास नहीं है कि उसके जिगर की गुड़िया इस तरह की दरिंदगी का शिकार हुई है। पल पल नन्ही जान कैसी तड़पी होगी, इस तड़प में उसने अपनों को कितना पुकारा होगा। लेकिन उसकी आवाज़ जंगल के बीच दीवारों में ही सिमट कर दम तोड़ गई होगी।
समाचार फर्स्ट के साथ गुड़िया के पिता का कहा कि जब उन्हें पता चला की उनकी नाबालिग मासूम को दरिंदो ने इस कदर नोचा उन्हें विश्वास नहीं हुआ। उनको सिर्फ ये डर था की घने जंगल में गुड़िया को भालू या जंगली जानवर खा गए होंगे। लेकिन उन्हें इलम नहीं था कि इस समाज में जंगली जानवरों से भी हिंसक मानव हैं जो इस कदर जिगर के टुकड़े को नोच डालेंगे।
गुड़िया के पिता आज भी सिहर उठते है जब उन्हें बेटी की याद ताज़ा होती है की उनकी प्यारी गुडिया को दरिंदो ने कितना तड़फाया होगा। उनका आज भी विश्वास नहीं है कि उनकी बेटी इस कदर दुनिया से जा चुकी है। अब उनका कहना है यही है की असल दरिंदो को सजा मिले तभी उनकी रूह को शकुन मिलेगा। अभी उन्हें न्याय नहीं मिला है लेकिन सीबीआई से न्याय की उम्मीद की जा रही है।
चार जुलाई का दिन गुडिया के लिए इस कदर मनहूस था की स्कूल से घर आते वक़्त जिंदगी की डोर टुकड़े टुकड़े टूट गई। पीछे बचे परिवार के पास आंसू बहाने के सिवा कोई रास्ता नहीं है। कुछ यादे हैं वह भी बहुत भयानक। अब बस एक ही आस है कि गुड़िया के असली हत्यारे पकड़े जांए और सजा-ए-मौत हो, शायद इसी बहाने जख्मो पर कुछ मरहम लग जाए।