<p>शिमला से करीब 20 किमी की दूरी पर बसा कुफरी वैसे तो सैलानियों के लिए आकर्षण का केंद्र है। लेकिन शिक्षा के क्षेत्र में भी यह क्षेत्र उन्नति की ओर अग्रसर है। मशोबरा खंड के तहत आने वाले प्राथमिक स्कूल कुफरी में विद्यार्थियों को ऐसी शिक्षा दी जा रही है, जो किसी प्राइवेट स्कूल से कम नहीं है। इस स्कूल में बच्चों की सुबह की सभा अंग्रेजी माध्यम में होती है और बच्चे प्रार्थना अंग्रेजी में बोलते हैं।</p>
<p>अध्यापिकाएं बच्चों को मॉडल के माध्यम से शिक्षा दे रही हैं। स्कूल में बच्चों द्वारा बनाए गए मॉडल की शिक्षा विभाग भी सराहना कर चुका है। यहां तक शिक्षा विभाग ने ऐसे मॉडल को सभी स्कूलों में अपनाने की बात भी कही है। यह सब स्कूल में कार्यरत शिक्षिका अंकिता वालिया की मेहनत है। अंकिता वालिया जुलाई 2016 से इस स्कूल में अपनी सेवाएं दे रही है।</p>
<p><img src=”/media/gallery/images/image(1841).jpeg” style=”height:340px; width:650px” /></p>
<p>अपने दो साल के कार्यकाल में शिक्षिका ने स्कूल की तस्वीर ही बदल डाली है। अंकिता वालिया का उद्देश्य है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की सं या को बढ़ाना। साथ ही इस मॉडल को प्रदेश के सभी स्कूलों में लागू करवाना है। स्कूल के क्लासरूम में जो मॉडल बनाए गए हैं वे सभी मॉडल अध्यापिकाओं ने बच्चों की भागीदारी से बनाए हैं। ज्यादातर मॉडल वेस्ट मेटीरियल से बनाएं गए हैं।</p>
<p>बच्चों ने कबाड़ में जुगाड़ की तर्ज पर यह मॉडल बनाए हैं। बच्चों द्वारा बनाए गए मॉडल में वेस्ट न्यूजपेपर, थरमोकॉल, कार्टन, बोतल, प्लास्टिक बोतल, घास, पत्तियां, एक्स-रे, दीपक, आईक्रिम स्टीक, टूटी चूडिय़ा, माचिस तिलियां इस्तेमाल की गई है। स्कूल में बच्चों को शिक्षा इन मॉडल के माध्यम से दी जा रही है, ताकि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर ऊंचा हो सके। स्कूल की अध्यापिकाएं बच्चों को खेल और मनोरंजन के माध्यम से पढ़ाती हैं। स्कूल की इस पहल से शिक्षा ग्रहण कर रहे बच्चों का मनोबल भी बढ़ा है। यही वजह है कि बच्चों ने क्लासरूम को तरह-तरह के मॉडल और चित्रकला से एक नया रूप दिया है।</p>
<p>एसएसए और आरएमएसए के राज्य परियोजना निदेशक आशीष कोहली ने इस स्कूल के मॉडल की बहुत सराहना की। उन्होंने स्कूल का औचक निरीक्षक भी किया। साथ ही मशोबरा खंड के सभी सीएचटी के साथ बैठक कर उन्हें आदेश दिए कि इस मॉडल को अन्य स्कूलों में भी अपनाया जाए। उधर शिक्षिका अंकिता वालिया का कहना है कि निजी स्कूलों की तर्ज पर इस स्कूल में भी बच्चों को शिक्षा दी जा रही है, ताकि सरकारी स्कूलों की ओर बच्चों का रूझान बने। सरकारी स्कूल में शिक्षा का स्तर बढ़ाना उनका मुख्य उद्देश्य है।</p>
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