<p>मेडीकल लैबोरेटरी प्रोफैशनल्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष सतीश कुमार ने निजी लैबोरेटरी संचालकों को स्वास्थ्य विभाग द्वारा सीईए 2010 (क्लीनिकल इस्टैबलिशमैंट एक्ट 2010) के नाम पर बार-बार नोटिस देकर परेशान करने पर कड़ी आपत्ति जताई है। साथ ही उन्होंने कहा है कि अगर स्वास्थ्य विभाग लैबोरेटरी संचालकों को परेशान करना बंद नहीं करता है तो प्रदेश भर से निजी लैबोरेटरी संचालक अपनी-अपनी लैबें बंद करके सड़कों पर उतर आएंगे।</p>
<p><span style=”color:#c0392b”><strong>निजी लैबोरेटरी संचालकों को परेशान करना बिल्कुल गलत</strong></span></p>
<p>प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि स्वास्थ्य विभाग निजी लैबोटरियों में एक एमबीबीएस डाक्टर को नियुक्त करके पंजीकृत करने के लिए बाध्य कर रहा है। उनका कहना है कि खून, थूक, पेशाब आदि के टैस्ट करने का काम लैबोरेटरी तकनीशियन/टैक्रोलॉजिस्ट का है और वे स्वास्थ्य विभाग के दिशा-निर्देशों के अनुसार इस क्षेत्र से संबंधित जरूरी पढ़ाई-लिखाई और प्रशिक्षण प्राप्त करके हिमाचल प्रदेश पैरा मैडीकल काऊंसिल शिमला में पंजीकृत हैं। ऐसी स्थिति में निजी लैबोरेटरी संचालकों को एमबीबीएस डाक्टर रखने के लिए परेशान करना बिल्कुल गलत है।</p>
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