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लाहौल-स्पीति: डाला उत्सव पर हंसा गांव में हुआ स्नो फेस्टिवल का आयोजन

पी. चंद |

डाला उत्सव के मौके पर स्नो फेस्टिवल भी हंसा गांव में कार्यक्रम का आयोजन किया गया । डाला उत्सव देवता जमलू के हंसा गांव में आने पर मनाया जाता है। सर्दियों के प्रवास के बाद जमलु देवता यहां आते हैं गांव के लोग बड़ी धूमधाम से यहां पर कार्यक्रम आयोजित करते है।  शुक्रवार को डाला उत्सव के साथ ही स्नो फेस्टिवल मनाया गया। इस मौके पर एसडीएम जीवन सिंह नेगी  ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। मुख्यातिथि ने दीप प्रज्जवलित करके कार्यक्रम की शुरूआत की । इसके बाद रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम स्थानीय कलाकारों की ओर से पेश किया गया। 

स्थानीय लोगों को संबोधित करते हुए मुख्यातिथि एसडीएम जीवन सिंह नेगी ने कहा कि जमलू देवता जब यहां आते है तो उसी मौके पर डाला मनाते है। इस बार स्नो फेस्टिवल भी इसी के साथ मनाया जा रहा है। स्नो फेस्टिवल को त्यौहारों का त्यौहार की तरह मनाया जा रहा है।इस त्यौहार में पारम्परिक पद्वति को आगे लेकर जाना है। हमारा उदेश्य अपनी संस्कृति को पर्यटन से जोड़ना है। ताकि लोगों की आर्थिकी मजबूत हो सके। लोगों की आय में वृद्धि हो सके। स्पिति में बड़ी धूमधाम से इस फेस्टिवल को मनाया जा रहा है।  स्पिति में बड़ी पुरानी सभ्यता के साक्ष्य मिले है। हिमालय क्षेत्र की जनजातीय संस्कृति काफी समृद्व है। उन्होंने कहा कि लोक गीत गाने वाली गटूक आंगमो आवाज की धनी है । इन्हीं की वजह से स्पिती के लोक गीत जीवित है। हमें इन्हे अधिक से अधिक प्रोत्साहित करना है। लोक गीत को युवा पीढ़ी को सिखाना चाहिए।  मुख्यातिथि  ने अंगमो को खतक पहनाकर सम्मानित किया। इसके बाद टशी छेरिग ने लोक गीत *खमबा दला* पेश किया।

मुख्यातिथि ने सभी कलाकारों को बेहतर प्रस्तुति पेश करने पर सम्मानित किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में टशी डांस महिला मंडल गांव, गर डांस युवक मंडल पेश किया। कार्यक्रम में बर्फ से कई तरह की कलाकृतयां बनाई गई थी। इसमें मुख्यतौर की मोनेस्ट्री रेड फोक्स, आईवेक्स, बनाए गए थे। कार्यक्रम में पांरम्परिक पत्थर के बर्तनों की प्रदर्शनी लगाई गई थी। इन बर्तनों का इस्तेमाल आज भी लोग करते आ रहे है। पारम्परिक व्यंजनों की बड़ी प्रर्दशनी लगाई गई थी।