<p>हिंदी पदनाम के लिए प्रशिक्षित भाषा अध्यापकों ने एक बार फिर आवाज़ बुलंद कर दी है। शिक्षा के अधिकार कानून के तहत प्रशिक्षित भाषा अध्यापक पिछले 4 सालों से पदनाम के लिए सरकार से मांग कर रहे हैं। जुलाई, 2017 में विभाग ने प्रदेश भर के हजारों भाषा अध्यापकों का डेटा मांगा लेकिन अभी तक शिक्षकों को मायूसी ही मिली। अपनी मांग को लेकर सोमवार को भाषा अध्यापकों का प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर से सर्किट हॉउस धर्मशाला में मिला।</p>
<p>भाषा अध्यापकों के प्रतिनिधि मंडल ने मुख्यमंत्री के समक्ष TGT हिंदी कैडर की मांग रखी। जिसे पूरा करने का मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया और मांग पत्र को सचिव शिक्षा विभाग को फॉरवर्ड कर दिया है। TGT हिंदी एसोसिएशन के जिला कांगड़ा प्रभारी कमल ठाकुर के नेतृत्व में कार्यकारिणी के 10 सदस्य मुख्यमंत्री से मिले।</p>
<p>जिला प्रभारी कमल ठाकुर ने कहा कि TGT की योग्यता पूरी करने वाले भाषा अध्यापकों को TGT हिंदी का पदनाम नहीं मिला है। इस मामले को पूर्व सरकार के समक्ष कई बार उठाया। प्रदेश के हज़ारों भाषा अध्यापकों को ठगा गया। शिक्षकों की सरकार से मांग है कि हिंदी भाषा अध्यापकों को TGT हिंदी पदनाम दिया जाए। ठाकुर ने कहा कि अब मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने पदनाम बहाली का आश्वासन दिया है। सभी योग्यता पूरी करने के बाद भी हिंदी भाषा अध्यापकों से भेदभाव हो रहा है। </p>
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