<p>जिस GST को केंद्र सरकार देश के लिए फायदेमंद कर प्रणाली बता रही है ,उस जीएसटी को हिमाचल प्रदेश के आबकारी एवं कराधन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण कपूर ने कठघरे में घड़ा कर दिया है। कपूर की माने तो, इसी साल जुलाई माह से लागू नई कर व्यवस्था ''GST'' का हिमाचल के राजस्व पर असर पड़ा है और पिछले 4 महिनों में प्रदेश के राजस्व में करीब 40 फीसदी की कमी आई है। जिसका मुख्य कारण जीएसटी है।</p>
<p>विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव तरुण कपूर ने कहा कि अब हिमाचल ने केंद्र सरकार से राजस्व में हुए घाटे के लिए क्षतिपूर्ति की मांग की है। केंद्र सरकार ने राज्यों में जीएसटी के प्रतिकूल असर की सूरत में घाटा पूरा करने के अलावा हर साल 14 फीसदी की अतिरिक्त क्षतिपूर्ति का प्रावधान रखा है। इसी के तहत राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को इसकी जानकारी दे दी है।</p>
<p>हिमाचल का वर्तमान में राजस्व लगभग 7 हजार करोंड़ रुपये है, इसमें 63 फीसदी सेल्स टैक्स, 17 फीसदी राज्य आबकारी और शेष 20 फीसदी राजस्व अन्य संसाधनों से मिलता है। विभागीय अधिकारियों की मानें तो राजस्व में कमी के लिए जीएसटी प्रमुख कारण है।</p>
<p>हिमाचल के राजस्व में पर्यटन क्षेत्र का करीब सात फीसदी योगदान है। जीएसटी लागू होने के बाद कई श्रेणी में टैक्स बंटने से सूबे में सबसे ज्यादा यही क्षेत्र प्रभावित हुआ है। ऐसे में प्रदेश सरकार ने मांग की है कि पर्यटन क्षेत्र में समान टैक्स स्लैब व्यवस्था लागू की जाए ताकि इस क्षेत्र को हो रहे नुकसान को कम किया जा सके।</p>
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