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चिट्टा नशे की चपेट में आए परिवार – सलापड़ क्षेत्र में करीब 20 परिवार चिट्टे की लत के कारण आर्थिक और सामाजिक रूप से बर्बाद हो चुके हैं।
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नशे का बढ़ता नेटवर्क – नशा माफिया ने मंडी, शिमला और सराज सहित कई इलाकों में नशे की सप्लाई के लिए संगठित चेन बना रखी है।
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पुलिस और पुनर्वास केंद्र की सक्रियता – पुलिस लगातार कार्रवाई कर रही है, वहीं मंडी-कुल्लू में नशा निवारण केंद्रों से 758 लोग नशा छोड़ चुके हैं।
मंडी जिले के सलापड़ क्षेत्र समेत हिमाचल में चिट्टा नशे की समस्या विकराल रूप ले चुकी है। हालात इतने गंभीर हैं कि करीब 20 परिवार इस नशे की चपेट में आ चुके हैं। बच्चों ने नशे के लिए जब घर से पैसे नहीं मिले तो मां-बाप को ही धोखे से चिट्टा चखा दिया। कोई इसे दर्द की दवा बताकर तो कोई अन्य बहाने से परिजनों को भी इस जाल में फंसा रहा है। अब स्थिति यह हो गई है कि माता-पिता खुद अपने बच्चों को पैसा देकर चिट्टा मंगवा रहे हैं। जब पैसे कम पड़े तो रिश्तेदारों से उधार लिया गया और जब उधार नहीं मिला तो घर के गहने-बर्तन बेचकर नशे की पूर्ति की जाने लगी। एक दैनिक अखबार के ये दावे चौंंकाने वाले हैं।
रिपोर्ट के अनुसार यह मामला मंडी जिले के सलापड़ क्षेत्र का है, जो बिलासपुर जिले की सीमा से सटा हुआ है। यहां पिछले एक साल में तीन युवाओं की जान जा चुकी है, लेकिन नशा माफिया का इतना खौफ है कि लोग खुलकर कुछ कहने से भी डरते हैं। पुलिस चौकी होते हुए भी नशे का अवैध कारोबार बेरोकटोक जारी है। क्षेत्र की खंडहर हो चुकी सरकारी कॉलोनी अब नशेड़ियों का अड्डा बन गई है।
नशे की यह चेन सलापड़ से होते हुए जंजैहली, सराज, शिमला के रोहड़ू, कोटखाई और ठियोग तक फैली हुई है। खासतौर पर सेब उत्पादक क्षेत्रों के युवा और पैसे वाले परिवारों के बच्चे नशा माफिया के निशाने पर हैं। चिट्टे का धंधा करने वाले नए ग्राहकों को लुभाने के लिए मुफ्त डोज तक देते हैं और दो नए ग्राहक लाने पर एक डोज मुफ्त दी जाती है।
मां को नशे की लत लगाने वाला बेटा
एक मामले में बेटे ने अपनी मां को घुटने के दर्द की दवा बताकर चिट्टा देना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद मां को इसकी लत लग गई और घर की सारी जमा पूंजी नशे में बह गई। जब उधार नहीं मिला तो घर के बर्तन, रसोई गैस सिलिंडर और यहां तक कि पेड़ तक बेच दिए गए। जब इस बात की जानकारी परिवार की शादीशुदा बेटियों को मिली, तो उन्होंने मां और भाई को इस दलदल से निकालने का संकल्प लिया।
नशा रोकने के प्रयास और प्रशासन की प्रतिक्रिया:
इससे पहले 2022 में इसी इलाके में जहरीली शराब पीने से सात लोगों की मौत हो चुकी है। अब चिट्टे के कारण कई परिवार उजड़ने की कगार पर पहुंच गए हैं। समाजसेवियों ने सरकार से इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। पुलिस अधीक्षक साक्षी वर्मा के अनुसार, पुलिस लगातार बॉर्डर एरिया में नशे के खिलाफ अभियान चला रही है और आगे और अधिक सख्ती बरती जाएगी।
नशा निवारण केंद्रों से अब तक 758 लोग मुक्त:
मंडी और कुल्लू में बने नशा निवारण केंद्रों ने अब तक 758 लोगों को नशे से छुटकारा दिलाया है। 2021 में स्थापित मंडी नशा निवारण केंद्र से अब तक 219 लोग ठीक हो चुके हैं, जबकि भुंतर स्थित महिला केंद्र में 541 महिलाओं का उपचार हो चुका है।
सरकार और प्रशासन की सख्ती के बावजूद नशा माफिया का नेटवर्क अभी भी सक्रिय है। यदि जल्द ही ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो यह समस्या और भयावह रूप ले सकती है।