13 अगस्त की सुबह साढ़े पांच बजे के करीब मंडी नगर निगम के नेला वार्ड स्थित गांव शिल्हाकीपड़ में लोगों की नींद अभी पूरी तरह से टूटी नहीं थी कि मूसलाधार बारिश के चलते गांव के पीछे की पहाड़ी एक नहीं दो जगहों से कहर बनकर टूट पड़ी ।
देखते ही देखते गांव के बीच से होकर गुजरने वाले दो नाले विकराल रूप धारण कर अपने साथ पेड़, पत्थर और मलबे का सैलाब लेकर ऐसे बढ़े कि लोगों के खेत, बागीचे रसोईघर, गौशाला और पुराने घरों को तहस-नहस कर गए । लोग जब तक संभलते एक दूसरे को मदद के लिए पुकारते पत्थर और मलबा गांव की सड़क, नाले और खेतों ही नहीं लोगों के घरों में घुस चुका था ।
गनीमत ये रही कि सुबह का समय थो लोग आनन-फानन में बिना कुछ लिए ही घरों से बाहर निकल गए अन्यथा बहुत बड़ा जानी नुक्सान भी हो सकता था । यह हादसा कितना बड़ा था इसका अहसास मौके पर कर और लोंगों से बात करने पर होता है ।
जहां हर रोती हुई आंख से निकलने वाले आंसू बर्बादी और आशियानों के उजड़ने की दास्तां बयां कर रहे हैं । शिल्हा कीपड़ निवासी बिशंबर सिंह ने बताया कि 13 अगस्त की सुबह पांच बजकर चालीस मिनट पर भारी बारिश के बीच नाले में अचानक बाढ़ और मलबा आने से उनका रसोई घर कम स्टोर और गोशाला ढह गई ।
आंगन में मलबा भर गया । उनकी पत्नी निर्मला ने रोते हुए बताया कि उनकी सौ साल की मां को किसी तरह घर से बाहर निकाल कर सुरक्षित एक के बाद एक तीन घरों में पहुंचाया । उसे जान पहचान वाले महेंद्र सिंह के घर में सुरक्षित रखा है ।
वहीं पर ठेकेदार प्रकाश पटियाल उर्फ बबली का दस कमरों का पक्का मकान नाले की जद में आ गया और मकान की छत और कमरे मलबे से भर गए हैं । इस परिवार को किसी तरह जान बचाकर देवता के मंदिर में शरण लेनी पड़ी है ।
कई परिवार गांव के बाहर सुरक्षित जगह पर टैंट लगाकर उसमें रातें काट रहे हैं। प्रकाश के बेटे मोहित ने बताया कि सुबह पांच बजकर चालीस मिनट पर उनके पिता ने कहा कि बाहर शोर हो रहा है । उसकी बहन सुशीला ने देखा कि बाहर नाला आया हुआ है ।
इसके बाद उसके पिता मकान की छत पर गए तो वे मलबे में फंस गए उन्हें किसी तरह बाहर निकाला गया । इतने में पूरा घर मलबे से भर गया …एक भी चीज बाहर नहीं निकाल पाये ।
यहां तक कि बच्चों की किताबें मलबे में पड़ी हुई हैं । उसी प्रकार गांव की ओनम पुत्री पवन कुमार और सुनिद्धि पुत्री प्रदीप कुमार ने बताया कि घर के आसपास पत्थर आ रहे थे । सामान लेकर हम भागने लगे और एक दूसरे की मदद करने लगे ।
गांव के दलित परिवार नागेंद्र नागू का कच्चा मकान मलबे से भर गया है । उसकी बहु सरोज गोद में दूधमुहीं बच्ची लेकर नम आंखों से अपने उजड़े हुए आशियाने को देखती है । मकान को मरम्मत करने के लिए रखी 32 बोरी सीमेंट भी बाढ़ की भेंट चढ़ गया। गांव के नेहरू की जमीन का नामोनिशान मिट गया है। खेम सिंह का आम बागीचा मलबे ने खत्म कर दिया है।
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