मंडी शहर की प्राचीनतम बावड़ी पैहरू की बांय जो ऐतिहासिक जैंचू के नौण के उपर है, का सुधारीकरण कार्य सवालों के घेरे में है। नगर निगम मंडी इस बावड़ी के सुधारीकरण का काम जल शक्ति विभाग के माध्यम से करवा रहा है।
यह काम 28 लाख रूपए के बजट से करवाया जा रहा है। हैरानी व अफसोसजनक यह है कि इस बावड़ी जिससे दिन में हजारों लोग पानी भरते हैं, कई मंदिरों में पूजा के लिए पानी जाता है, शहर आने वाले लोग इस कुदरती स्त्रोत से पानी पीकर अपनी प्यास बुझाते हैं और मंडी शहर में जब व्यास में बाढ़ आने से कई दिन तक पानी नहीं आया था तो यही बावड़ी लोगों का सहारा बनी थी, इसके पानी की निकासी ही बंद हो गई है।
बावड़ी के नालू से इन दिनों खूब पानी बह रहा है मगर यह पानी साथ लगते नाले में न जाकर वहीं जमीन में रिस रहा है। इससे इसके आसपास की जगह बैठ रही है, साथ लगती सीढ़ियों के साथ बड़ी बड़ी दरारें पड़ गई हैं। इसके बावजूद भी ठेकेदार ठसके के साथ भारी खर्चा करकेे यहां पर शैड बनाने के बाद आधुनिक टाइलें आदि लगा रहा है।
उपर टाइलें थोपी जा रही है जबकि नीचे जमीन में पानी रिस रहा है। ऐसे में कभी यह निर्माण पहले की तरह धस कर जमींदोज हो सकता है और सारा पैसा बर्बाद हो सकता है। इस बारे में कालेज रोड़ शॉपकीपर एसोसिएशन के पदाधिकारियों दीपक गुलेरिया, महेंद्र सिंह, विजय कुमार, राकेश वालिया, बीरबल शर्मा आदि ने कई बार ठेकेदार, जल शक्ति विभाग व नगर निगम के अधिकारियों के ध्यान में लाया मगर इसे सही करने की बजाय जोर शोर से काम किया जा रहा है।
इस बारे में जल शक्ति विभाग के जूनियर इंजीनियर जिनके जिम्मे यह काम है का कहना है कि प्लान में पानी की निकासी का जिक्र नहीं है। नगर निगम के सहायक अभियंता एचसी जसवाल का कहना है कि इतना बड़ा टैंडर है और इसमें सारा प्रावधान है।
उनका कहना है कि पानी की निकासी तो सबसे ज्यादा जरूरी है, क्यों नहीं किया गया है यह देखा जाएगा क्योंकि पैसा नगर निगम का है। संबंधित वार्ड पार्षद माधुरी कपूर का कहना है कि वह कई बार इस बारे में अधिकारियों को कह चुकी है मगर न जाने इसे क्यों नहीं किया जा रहा है, इससे तो इस काम का कोई फायदा ही नहीं । ठेकेदार जो काम करवा रहा है उनका कहना है कि विभाग के अधिकारी जो काम बताएंगे वहीं किया जाएगा।