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मंडी: सराज के बागीचुनोगी के कचरे से पुणे में बनेगा जरूरत का सामान

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अच्छी पहलः सराज के बागीचुनोगी के कचरे से पुणे में बनेगा जरूरत का सामान, प्रधानाचार्य के आह्वान पर एकत्रित कचरा भेजा पुणे की एनजीओ को

मंडी: कौन कहता है कि आसमान में छेद नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछाल कर देखो यारो, भले ही यह एक फिल्मी डायलॉग है जिसे अभिनेता शत्रुघन सिंहा कई बार आम जिंदगी में भी जिक्र करते हैं, को अब मंडी जिले की अति दूरस्थ व दुर्गम सराज घाटी के राजकीय माध्यमिक पाठशाला बागाचुनोगी के बच्चे व शिक्षक भी सार्थक करने लगे हैं।

पाठशाला के प्रधानाचार्य मेहर चंद ठाकुर उन 200 शिक्षकों में शुमार थे जो हिमाचल सरकार द्वारा अलग अलग ग्रुपों में पांच पांच दिवसीय एक्सपोजर विजिट के लिए सिंगापुर भेजे थे। वहां से कुछ अलग सीख कर आए सभी शिक्षक अपने अपने स्कूलों में कुछ न कुछ नया कर दिखाने में लगे हैं मगर इसमें अभी तक जो सबसे अच्छी पहले सराज क्षेत्र की दुर्गम व दूरस्थ पाठशाला बागा चुनोगी थाच में कार्यरत प्रधानाचार्य मेहर चंद ठाकुर ने की है। उन्होंने वहां पर कूड़े कचरे के निपटान की प्रक्रिया को देखा तो इसे अपने ही स्कूल व आसपास के क्षेत्र से शुरू करने की सोची।

सुबह की प्रार्थना सभा में कक्षा में पढ़ाई के दौरान सभी बच्चों से आह्वान किया कि जहां भी प्लास्टिक देखें उसे उठाकर एकत्रित कर लें। उन्होंने पुणे महाराष्ट् में कचरे से जरूरी सामान बनाने में लगी एक स्वयं सेवी संस्था रिचरखा से संपर्क किया जिसने प्लास्टिक भेजने के लिए के लिए कहा।

मेहर चंद ठाकुर ने बताया कि बच्चों ने उनके आह्वान को संजीदगी व गंभीरता से लिया, जो भी प्लास्टिक के रैपर आदि उन्हें मिले वह एकत्रित कर दिए और प्रधानाचार्य को सौंप दिए। प्रधानाचार्य ने इसका एक पैकेट बनाकर उसे रिचरखा एनजीओ को भेज दिया। भले ही अभी इसकी एवज में संस्था कोई पैसा नहीं देगी मगर भविष्य में इसके बदले बच्चों के लिए कुछ जरूरी वस्तुएं मिलने की संभावना है।

मेहर चंद ठाकुर ने बताया कि इस पहल से बच्चों में स्वच्छता की एक भावना पैदा हो रही है वहीं पूरे क्षेत्र को प्लास्टिक मुक्त भी बनाया जा रहा है। प्रधानाचार्य, शिक्षकों व बच्चों की इस पहल का क्षेत्र में लोग स्वागत व अभिनंदन कर रहे हैं। इसकी देखादेखी आने वाले दिनों में स्थानीय लोग भी अपना सकते हैं।