हिमाचल

मंडी: UGC के 7वें वेतन आयोग की मांग को लेकर प्राध्यापकों ने शुरू की सामूहिक भूख हड़ताल

विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को अविलंब लागू करवाने और शिक्षा की गुणवत्ता के लिए हिमाचल प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों के प्राध्यापकों ने आज से सामूहिक भूख हड़ताल शुरू कर दी है। हिमाचल गवर्नमेंट कॉलेज टीचर एसोसिएशन के राज्य उपाध्यक्ष डॉ ओपी ठाकुर ने कहा- यूजीसी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करवाने के लिए इतिहास में पहली मर्तबा हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला, कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर, सरदार पटेल विश्वविद्यालय मंडी व वानिकी विश्वविद्यालय नौणी सोलन व हिमाचल प्रदेश के सभी महाविद्यालयों के प्राध्यापक संयुक्त रुप से सामूहिक भूख हड़ताल में भाग ले रहे।

गौरतलब है, हिमाचल गवर्नमेंट कॉलेज टीचर्स एसोसिएशन (HGCTA) के बैनर तले हिमाचल प्रदेश के महाविद्यालयों के प्राध्यापक कई दिनों से संघर्षरत हैं। हिमाचल गवर्नमेंट कॉलेज टीचर एसोसिएशन के राज्य उपाध्यक्ष डॉ ओपी ठाकुर ने कहा- 12 मई से उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन और प्रैक्टिकल परीक्षाओं के आयोजन का बहिष्कार जारी है।

वहीं HGCTA वल्लभ राजकीय महाविद्यालय मंडी की स्थानीय इकाई की कोषाध्यक्षा डॉ बनिता सकलानी ने कहा- प्रदेश सरकार ने पिछले 6 सालों से लंबित यूजीसी के सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों के प्रोफेसरों के लिए लागू नहीं किया है। हिमाचल सरकार ने अन्य विभागों के कर्मचारियों के लिए वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी की है। वहीं महाविद्यालय व विश्वविद्यालय के प्राध्यापक यूजीसी के सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों से वंचित है। सरकार के सौतेले व्यवहार से विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों के प्राध्यापको मे भारी रोष है।

उन्होंने कहा कि देश के 27 राज्यों के विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों और सभी केंद्र शासित प्रदेशों में यूजीसी के सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कर दिया गया है। लेकिन हिमाचल प्रदेश में यूजीसी के 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को अभी तक लागू नहीं किया जा रहा है। हिमाचल गवर्नमेंट कॉलेज टीचर एसोसिएशन की स्थानीय इकाई कोषाध्यक्षा डॉ बनिता सकलानी ने कहा- यूजीसी के सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को अविलंब लागू करने व शिक्षा की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए पिछले 6 सालों से प्रदेश सरकार को विभिन्न मंचों व स्थानों पर ज्ञापन दिए गए हैं। वर्ष 2014 से प्राध्यापकों की एमफिल व पीएचडी इंक्रीमेंट को रोक दिया गया है। इससे देश में अनुसंधान व शोध कार्यों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। लोक सेवा आयोग से चयनित होने के बावजूद व विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के मापदंडों पर नियुक्त महाविद्यालयों के प्राध्यापकों को 6 वर्ष से अधिक अनुबंध काल की सेवा पर रखा गया। डॉ बनिता सकलानी ने कहा- प्राध्यापकों के अनुबंध काल को सेवा काल में जोड़ा जाए।

Ashwani Kapoor

Recent Posts

गगल एयरपोर्ट विस्तार: हाईकोर्ट ने प्रभावितों को भूमि से न हटाने का आदेश

Gaggal Airport Expansion Case : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गगल हवाई अड्डे के विस्तारीकरण मामले…

8 hours ago

दडूही पंचायत के ग्रामीण बोले, “नगर निगम में शामिल नहीं होना चाहते”

Himachal Villagers Protest Tax Burden: हमीरपुर जिले की दडूही पंचायत के  ग्रामीण सोमवार को उपायुक्त…

10 hours ago

नाहन के चौगान मैदान में खो-खो का रोमांच

Nahan Kho-Kho Tournament: सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन के ऐतिहासिक चौगान मैदान में अंतर महाविद्यालय खो-खो…

11 hours ago

हमीरपुर में भाजपा ने जोड़े 1.05 लाख नए सदस्य, गुटबाजी के आरोप खारिज

Hamirpur BJP Membership Drive: हिमाचल प्रदेश में 3 सितंबर से शुरू हुए भारतीय जनता पार्टी…

11 hours ago

कांग्रेस नेता बोले, विकट परिस्थितियों में जनता के लिए फैसले लिए, भाजपा करती रही षड्यंत्र

Himachal Congress vs BJP: कांग्रेस के पूर्व मुख्य प्रवक्ता प्रेम कौशल ने भाजपा के 11…

11 hours ago

हाईकोर्ट ने एचपीटीडीसी के होटलों को बंद करने के आदेश पर लगाई रोक

हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के घाटे में चल रहे 9 और…

13 hours ago