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मंडी: श्रम कानूनों को खत्म करने के विरोध और किसान आंदोलन के समर्थन में सीटू का विरोध प्रदर्शन

<p>अखिल भारतीय आह्वान पर सीटू से संबंधित भवन एवं सडक़ निर्माण यूनियन केएमसी इकाई, मै. अशोक चौहान इकाई , रेहड़ी फड़ी यूनियन मंडी &nbsp;ने केंद्र सरकार &nbsp;द्वारा श्रम कानूनों को खत्म करके 4 लेवर कोड के खिलाफ व दिल्ली में &nbsp;चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में मंडी में धरना प्रदर्शन किया। सीटू ने केंद्र सरकार को चेताया है कि केंद्र सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ आंदोलन तेज होगा आज 3 फरवरी को मजदूर, कर्मचारी व किसान विरोधी बजट और चार लेबर कोडों के खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शन किए जा रहे हैं।&nbsp;</p>

<p>इस अवसर पर सीटू जिला महासचिव राजेश शर्मा ने कहा है कि केंद्र की मोदी सरकार पूरी तरह पूंजीपतियों के साथ खड़ी हो गई है व आर्थिक संसाधनों को आम जनता से छीनकर अमीरों के हवाले करने के रास्ते पर आगे बढ़ रही है। बजट में बैंक,बीमा,रेलवे,एयरपोर्टों,बंदरगाहों,ट्रांसपोर्ट,गैस पाइप लाइन,बिजली,सरकारी कम्पनियों के गोदाम व खाली जमीन, सडक़ों, स्टेडियम सहित ज्यादातर सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करके बेचने का रास्ता खोल दिया गया है। इज ऑफ डूइंग बिजनेस के नारे की आड़ में मजदूर विरोधी लेबर कोडों को अमलीजामा पहनाकर यह बजट इंडिया ऑन सेल का बजट है। इससे केवल पूंजीपतियों, उद्योगपतियों व कॉरपोरेट घरानों को फायदा होने वाला है व गरीब और ज्यादा गरीब होगा।&nbsp;</p>

<p>उन्होंने कहा कि देश का सबसे गरीब तबका व सबसे अधिक महिलाएं सामाजिक क्षेत्र में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करने वाली मनरेगा व स्कीम वर्करज़ जैसी कल्याणकारी योजनाओं में कार्य करते हैं। इन क्षेत्रों के बजट में भारी कटौती की गई है। सरकार ने मनरेगा के बजट में 41 प्रतिशत कटौती कर दी है। जबकि देश में कोरोना महामारी के कारण उद्योग बंदी व अन्य क्षेत्रों में काम बन्दी होने से मजदूरों का गांव की ओर रिवर्स माइग्रेशन हुआ है । ऐसे में बेरोजगार जनता के लिए मनरेगा रोजगार का सबसे बड़ा साधन बनकर उभरा है। कोरोना वारियर की बेहतरीन भूमिका अदा करने वाले आंगनबाड़ी कर्मियों के बजट में सरकार ने 30 प्रतिशत कटौती कर दी है।&nbsp;</p>

<p>बच्चों की शिक्षा में अहम योगदान देने वाली मिड डे मील योजना के बजट में 1400 करोड़ रुपए की कटौती कर दी गई है। सरकार ने 15वें वित्त आयोग की सिफारिश अनुसार कई केंद्रीय योजनाओं को खत्म करने का ऐलान किया है। जबकि खजाना खाली होने का रोना रोने वाली केंद्र सरकार ने पूंजीपतियों से साढ़े दस लाख करोड़ रुपए के बकाया टैक्स को वसूलने पर एक शब्द तक नहीं बोला है। सरकार ने पूंजीपतियों के टैक्स लगातार घटाकर उन्हें भारी राहत दी है। टैक्स चोरी करने वाले पूंजीपतियों को सरकार ने पिछले पांच वर्षों में लगातार संरक्षण दिया है जोकि दुर्भाग्यपूर्ण है। इसके साथ देशभर में बिजली कर्मचारियों द्वारा किए जा रही हड़ताल का भी सीटू समर्थन करती है ।</p>

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