हिमाचल

मंडी: स्कूल परिसर में जमा रेत की नीलामी 47 लाख में हुई

जिले के बल्ह प्रशासन ने आपदा में अवसर तलाशने की एक अच्छी पहल की है। इससे दूसरों को भी सबक लेने की जरूरत है। भारी बारिश व बाढ़ के चलते मंडी जिले की बल्ह घाटी पूरी तरह से जलमग्न हो गई थी। जुलाई 9 व 10 को भी पूरी घाटी पानी से जलथल थी तो 12 से 14 अगस्त तक भी रिकार्ड स्तर पर पानी भरा था। जैसे ही यह पानी उतरा तो लोगों के खेत, खलिहान, घर, दुकानें व सरकारी कार्यालय जो भी इस पानी की जद में थे, पूरे रेत से भर गए थे।

यूं भी पूरे जिले को मंडी की बल्ह घाटी से ही रेता जाता है क्योंकि यहां के रेत में सिल्ट नहीं होती व हल्के हल्के पत्थरों के कण होते हैं जो सैटिंग के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है। जैसे ही लोगों ने जहां तहां रेता जमा देखा तो इसे निकालने लग गए। एक एक दिन में लाखांे का रेता यहां से निकाला जाने लगा। इसकी भनक जब उपमंडलाधिकारी नागरिक बल्ह स्मृतिका नेगी को लगी तो उन्होंने खनन अधिकारियों के साथ कई जगह का मौका किया।

इसी बीच राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला घासणू भड़याल परिसर में भी दस दस फीट तक रेता भरा हुआ था। उपमंडलाधिकारी ने इस रेत की नीलामी करने का आदेश दिया और हैरानी की बात है कि महज स्कूल परिसर के रेत की ही नीलामी 47 लाख की गई। मौके स्मृतिका नेगी ने कहा कि बल्ह घाटी के सलवाहन सहित अन्य कई जगहों पर इस तरह रेत के बड़े बड़े ढेर जमा हो गए हैं। सबको नीलाम किया जाएगा और राजस्व प्राप्त किया जाएगा।

उन्होंने कहा कि इस समय बारिश बाढ़ प्रभावितों को मदद की दरकार है। ऐसे में अपने स्तर पर राजस्व बढ़ा कर अधिक से अधिक मदद प्रभावितों को दिए जाने की व्यवस्था की जाएगी। उनके इस कदम की बड़ी सराहना हो रही है। इधर, भड़याल समेत बल्ह के कई गांवों के लोगों के कहना है कि छोटे छोटे नालों, खड्डों व अन्य जगहों पर भी बड़ी मात्रा में रेत जमा हुआ है। इसे भी नीलाम करके सरकार को राजस्व बढ़ाना चाहिए।

खनन विभाग के मुताबिक लोगों से साफ कह दिया गया है कि उनके घर आंगन खेत व अन्य जगहों पर जो रेता पानी के साथ आकर जमा हुआ है उसे वह अपने व्यक्तिगत प्रयोग के लिए तो ले सकते हैं मगर यदि इसे मार्केट में बेचते हुए पाए गए तो पूरा पैसा वसूला जाएगा। एक अनुमान के साथ बल्ह घाटी में पानी के साथ करोड़ों का रेता आया है। इस रेत की बड़ी मांग है और यह काफी महंगा भी बिकता है। रेत के रूप में यह सोने से कम नहीं है।

ऐसे में जिला प्रशासन को भी इसे लेकर कोई ठोस योजना बनानी चाहिए। साथ ही पूरे प्रदेश में बाढ़ बारिश के साथ आए पत्थर रेत या दूसरे खनिजों को सरकार को अपने कब्जे में लेकर उससे राजस्व जुटाना चाहिए। सरकार इस समय एक एक पैसा जुटाने में लगी है और इससे मद को यदि गंभीरता से लिया जाए तो इससे करोड़ों अरबों जुटाए जा सकते हैं। मंडी कुल्लू मार्ग पर मंडी से पंडोह के बीच 4,5,6 व 7 मील पर करोड़ों के पत्थर हैं जिन्हें ठेकेदारों द्वारा बेच कर सरकार को चूना लगाया जा रहा है।

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