मनरेगा और निर्माण मज़दूर यूनियन मंडी ज़िला कमेटी की बैठक शुक्रवार को कामरेड तारा चन्द भवन में आयोजित की गई।जिसकी अध्यक्षता ज़िला प्रधान गुरदास वर्मा ने की और राज्य महासचिव भूपेंद्र सिंह और सीटू महासचिव राजेश शर्मा भी उपस्थित हुए।
निर्माण यूनियन के ज़िला सचिव गोपेन्द्र शर्मा ने बताया कि यूनियन 17 से 23 अगस्त तक निर्माण मज़दूरों के लाभ राज्य श्रमिक कल्याण बोर्ड से जारी न होने और बोर्ड में पंजीकरण और नवीनीकरण कार्य भी रोक देने के ख़िलाफ़ सभी खंडों में अभियान चलाया जाएगा और 24 अगस्त को मंडी,सुंदरनगर, जोगिन्दरनगर, सरकाघाट और थुनाग में खोले बोर्ड कार्यालयों पर प्रदर्शन और घेराव किया जाएगें।
राज्य महासचिव और कल्याण बोर्ड के सदस्य भपेंद्र सिंह ने बताया कि प्रदेश में बनी कांग्रेस पार्टी की सरकार ने अपने कार्यकाल के पहले ही दिन अर्थात 12 दिसंबर को ये मज़दूर विरोधी फ़ैसला लिया है जिससे हिमाचल प्रदेश के साढ़े चार लाख और मंडी ज़िला के 84 हज़ार मज़दूर उन्हें मिलने वाली वित्तिय सहायता से वंचित कर दिए गए हैं।
यही नहीं सुखू सरकार ने इस साल के बजट में मनरेगा मज़दूरों को 240रु मज़दूरी देने की घोषणा की थी लेकिन ये अभी तक भी नहीं दी जा रही है और राज्य सरकार ने कोई बजट उपलब्ध नहीं करवाया है।हक़ीक़त में मनरेगा मज़दूरों को पिछले साल जो 212 रु मिलते थे वो भी अब 198 रु मिल रहे हैं।
ग्रामीण विकास विभाग बजट पास होने के चार महीने बाद भी घोषणा को लागू करने के लिए कोई क़दम नहीं उठा पाया है।भूपेंद्र सिंह ने आरोप लगाया कि आम जनता और मज़दूर सुखू सरकार को मज़दूर विरोधी निर्णय लेने वाली सरकार के रूप में देख रही है जिसके ख़िलाफ़ मोर्चाबंदी होना शुरू हो गई है और सीटू से सबंधित यूनियन ने सरकार के खिलाफ अभियान छेड़ने का फ़ैसला ले लिया है।
उन्होंने कहा कि नई सरकार बनने के बाद श्रमिक कल्याण बोर्ड की दो बैठकें हो चुकी हैं जिनमें मज़दूरों के पचास करोड़ रुपये के रोके गये लाभ तुरन्त बहाल करने के प्रस्ताव पारित हुए हैं लेकिन वे अभी तक भी लागू नहीं हो रहे हैं।यूनियन ने इस सरकार के बोर्ड और मनरेगा विरोधी फैसलों का जनता में पर्दाफ़ाश करने और अगले साल होने वाले चुनावों में सबक सिखाने की योजना तैयार कर ली है।
भूपेंद्र सिंह ने बताया कि बोर्ड में फ़रवरी माह से 12 श्रम कल्याण अधिकारी नियुक्त किये हैं जो छह माह से बिना किसी काम के दफ्तरों में बिठाये हैं।जबकि बोर्ड का काम सरकार ने पूरी तरह बन्द कर दिया है और जो पैसा मज़दूरों की सहायता के लिए ख़र्च होना चाहिये था उसे वेतन भतों व अन्य कार्यों पर खर्चा जा रहा है।उन्होंने बताया कि सरकार जानबूझकर और गैर कानूनी तौर पर मज़दूरों को परेशान कर रही है।
जिसका खामियाजा उन्हें आने वाले लोकसभा चुनाव में भुगतना पड़ेगा।बैठक में मनरेगा मज़दूरों को काम नहीं मिलने पर भी चिंता व्यक्त की गई और ऑनलाईन हाज़री औऱ बीस कार्यों की शर्त हटाने ग्राम पंचायतों में जनरल हैड के कार्यों में भी मनरेगा मज़दूरों को रोज़गार देने की भी मांग उठाई गई।
ग्राम खंडों में सामूहिक रूप में रोज़गार मांगने औऱ 240 रु दिहाड़ी लागू करने के लिए 1से 10 सितंबर तक अभियान चलाया जाएगा और 12-14 सितंबर के बीच खण्ड स्तर पर प्रदर्शन करते हुए काम के आवेदन बीडीओ कार्यालयों में जमा करवाये जायँगे।