<p>हिमाचल प्रदेश वीर योद्धाओं की धरती रही है। इस पहाड़ी प्रदेश के कई वीर सपूतों ने भारत वर्ष को आजाद करने के लिए लड़ाईयां लड़ी और कई वीरों ने इसके लिए बलिदान भी दिए हैं। इतिहास गवाह है कि छोटे से पहाड़ी क्षेत्र हिमाचल के जिला कुल्लू के लोगों ने भी स्वतन्त्रता संग्राम में अपनी अहम भूमिका निभाई है। पर्वतों की यह धरा वीर योद्धाओं और स्वतंत्रता सेनानियों की जन्म स्थली रही है। यहां के लोगों ने शुरू से ही आजादी की लड़ाई में बराबर की हिस्सेदारी निभाई है। प्रदेश के अन्य हिस्सों की भान्ति जिला कुल्लू के दूरस्थ क्षेत्र बंजार की तीर्थन घाटी भी इससे अछूती नहीं रही है। यहां के बाशिन्दों को इस बात का गर्व है कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में इस घाटी के लोगों की भी बराबर की हिस्सेदारी रही है।</p>
<p><img src=”/media/gallery/images/image(6690).jpeg” style=”height:100px; width:802px” /></p>
<p>जिला कुल्लू उपमण्डल बंजार की तीर्थन घाटी के गांव देहुरी डाकघर कलवारी कोठी पलाहच में छह अप्रैल, 1924 को बरु राम के घर जन्मे स्वतन्त्रता सेनानी स्व.मनीराम चौधरी को स्वतंत्रता संग्राम में दिए गए उनके योगदान के लिए आज भी याद किया जाता है। उन्होंने अपने यौवन काल में ही अपने सहयोगियों के साथ देश के स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था और तब तक नहीं रुके जब तक देश आजाद नहीं हुआ था। इन्होंने एंग्लो मिडल तक की शिक्षा हासिल की थी। 15 फरवरी, 1942 को वह आजाद हिन्द फौज में भर्ती हो गए थे। इन्होंने बतौर प्लाटून कमांडर पद तक अपनी सेवाओं और कर्तव्यों का वखुवी निर्वहन किया है।</p>
<p><img src=”/media/gallery/images/image(6691).jpeg” style=”height:223px; width:896px” /></p>
<p>देश में आजादी की लड़ाई के दौरान इन्होंने कई बार अपने सहयोगियों से मिलकर अंग्रेजी हुकूमत से टक्कर ली जिस कारण कई बार उन्हें जेल में भी रहना पड़ा। इसी दौरान उन्हें नौ माह तक रंगून तथा वर्मा की जेलों में भी कैदी बना कर रखा गया। यहां से छुटकारा मिलने के बाद वे तीन माह तक जिगरकच्छ व कलकत्ता की जेलों में भी बन्दी रहे। उन्हें 17 जनवरी, 1946 को जेल से रिहा किया गया था। आजादी के बाद उन्होंने अपने घर परिवार के साथ ही अपना खुशहाल पारिवारिक जीवन जिया और वर्ष 2004 में वे स्वर्ग सिधार गए।</p>
<p>भारतवर्ष और हिमाचल के ऐसे असंख्य वीर सपूतों के संघर्ष और बलिदान की वजह से ही देशवासी 15 अगस्त को आजादी के जशन के रूप में मनाते हैं। इन्होंने मां भारती को गुलामी की बेड़ियों से आजाद करवाने में अपना अमूल्य योगदान दिया है।तीर्थन घाटी के लोगों को भी इस बात का गर्व है कि देश के स्वतंत्रता संग्राम में यहां के लोगों की भी बराबर की हिस्सेदारी रही है ।</p>
<p><img src=”/media/gallery/images/image(6692).jpeg” style=”height:396px; width:632px” /></p>
Gaggal Airport Expansion Case : हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने गगल हवाई अड्डे के विस्तारीकरण मामले…
Himachal Villagers Protest Tax Burden: हमीरपुर जिले की दडूही पंचायत के ग्रामीण सोमवार को उपायुक्त…
Nahan Kho-Kho Tournament: सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन के ऐतिहासिक चौगान मैदान में अंतर महाविद्यालय खो-खो…
Hamirpur BJP Membership Drive: हिमाचल प्रदेश में 3 सितंबर से शुरू हुए भारतीय जनता पार्टी…
Himachal Congress vs BJP: कांग्रेस के पूर्व मुख्य प्रवक्ता प्रेम कौशल ने भाजपा के 11…
हाईकोर्ट ने हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम (एचपीटीडीसी) के घाटे में चल रहे 9 और…