जुलाई-अगस्त के दौरान पवित्र मणिमहेश झील हजारों तीर्थयात्रियों से भर जाता है। यहीं पर सात दिनों तक चलने वाले मेला का आयोजन भी किया जाता है। यह मेला जन्माष्टमी के दिन समाप्त होता है। वहीं इस बार मणिमहेश डल झील पर आस्था की डुबकी लगाने पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए बुधवार से सुरक्षा मिलना शुरू हो जाएगी। हालांकि इस बार अधिकारिक यात्रा तीन सितंबर (जन्माष्टमी के छोटे न्हौण) से शुरू होगी, लेकिन इससे पहले ही बढ़ रही भक्तों की तादाद को देखते हुए पुलिस प्रशासन ने 22 अगस्त से ही सुरक्षा उपलब्ध करवाने का निर्णय लिया है।
प्राइमरी स्तर पर पुलिस बल को (दो रिजर्व टुकडि़यां) बुधवार से ही तैनात कर दिया जाएगा। श्रद्धालुओं की संख्या के साथ स्थिति को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को दिन-प्रतिदिन मजबूत किया जाएगा। देश के कोने-कोने के साथ पाकिस्तान की सीमा से सटे राज्य जम्मू-कश्मीर से मणिमहेश यात्रा पर पहुंचने वाले श्रद्धालुओं पर पुलिस विभाग के साथ जिला प्रशासन की ओर से पैनी नजर रखी जाएगी।
इसके साथ ही यात्रा के दौरान जिला के एंट्री प्वाइंट पर स्थापित की गई चैक पोस्ट से गुजरने वाले बाहरी राज्यों के वाहनों को भी चैक किया जाएगा। निजी वाहनों के साथ चंबा से बाहरी राज्यों के लिए चलने वाली निगम की बसों पर भी निगरानी रखी जाएगी। यात्रा को लेकर सुरक्षा के लिहाज से पहले की तरह सेक्टर में बांटा जाएगा, ताकि यात्रा पूरी तरह से शांत माहौल से संपन्न हो सके। स्वास्थ्य विभाग शिव भक्तों के लिए 28 अगस्त से स्वास्थ्य सुविधाएं देगा। यात्रा के दौरान आठ सेक्टर में बांटे गए जनजातीय क्षेत्र भरमौर में दिन-रात स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इस दौरान डाक्टर के साथ विभाग की टीम मौजूद रहेगी।
25 से हेलिटैक्सी
शिव भक्तों के लिए 25 अगस्त से हेलिटैक्सी सुविधा भी उपलब्ध हो जाएगी। इस बार यूटी एयर के दो एवं आर्यन कंपनी का एक हेलिकाप्टर भक्तों को भोले के दर्शन करवाएगा। पिछले मुकाबले इस बार कं पनी ने किराए में दो गुना बढ़ोतरी की है, जिससे शिव भक्तों को जेब ढीली करनी पड़ेगी।
पहली बार लगेंगे जालीदार जार
भरमौर — मणिमहेश यात्रा के दौरान इस बार भरमाणी माता मंदिर व डल झील में श्रद्धालुओं के लिए जालीदार जार स्थापित किए जाएंगे। मणिमहेश ट्रस्ट ने भरमाणी माता मंदिर, डलझील और गौरीकुंड जालीदार जार स्थापित करने का फैसला लिया है। इस कड़ी में भरमाणी माता मंदिर में इन्हें स्थापित कर दिया है। ट्रस्ट ने ऐसी पहल इसलिए की है, ताकि यात्रा के दौरान कोई भी श्रद्धालु स्नान करने के बाद अपने कपड़े यहां-वहां न फेंक सकें।