हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला स्थित ऐतिहासिक गेयटी थिएटर में मुद्रा परिषद 105 वीं कॉन्फ्रेंस और एग्जिबिशन का आयोजन किया गया इस मौके पर ऐतिहासिक मुद्राओं पर देशभर से आए 40 शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र रखें.
दो दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश का राज्य संग्रहालय भी होस्ट के तौर पर हिस्सा ले रहा है. इसके अलावा इस कार्यक्रम में देश के अलग-अलग हिस्सों से आए शोधार्थी अगले दो दिनों तक इतिहासिक मुद्राओं के पीछे के तथ्य और इसके ऐतिहासिक महत्व को लेकर चर्चा भी करेंगे.
हरीश चौहान ने बताया कि इतिहास के नर्सरी से सिखों का बेहद महत्व है और सिक्के किसी भी देश के इतिहास को जानने में बहुत महत्वपूर्ण तत्व साबित हो सकते हैं उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में पहली बार इस तरह का कार्यक्रम किया जा रहा है.
जिसमें देश भर के 40 शोधार्थी अपने शोध पत्र सामने रखेंगे. इसके अलावा उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में पुरातन सिखों को लेकर एग्जीबिशन का भी आयोजन किया जा रहा है जिसमें विभिन्न कालखंडों और विभिन्न शासको के समय किसी के समय के सिक्के भी प्रदर्शित किए जाएंगे.
वहीं दिल्ली विश्वविद्यालय से ऐतिहासिक मुद्राओं पर शोध करने वाले शोधार्थी शुभप्रतिम रे ने कहा कि इतिहास से जुड़े तत्वों को जानने के लिए सिक्कों का महत्व अधिक है उन्होंने कहा कि कई शिरलेखों में भी जिन बातों का और ऐतिहासिक तथ्यों का जिक्र नहीं मिलता है.
उस शासन काल के सिक्के वह तथ्य भी उजागर करते हैं. शुभप्रतिम रे ने बताया कि ने बताया कि वह औरंगजेब के कल के जुड़े दो प्रकार के सिक्कों पर अपना शोध पत्र देकर हिमाचल पहुंचे हैं और आने वाले दो दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में उसे पर अपने विचार साझा करेंगे.