राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सोमवार को नगरोटा बगवां स्थित मधुमक्खी अनुसंधान केंद्र का दौरा किया। राज्यपाल ने कृषि विश्वविद्यालय द्वारा इस अनुसंधान केन्द्र के सफलतापूर्वक संचालन की सराहना करते हुए कहा कि इस अनुसंधान केन्द्र को और अधिक आधुनिक बनाने की आवश्यकता है। इस अनुसंधान केन्द्र को हेरिटेज केन्द्र घोषित करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि शीघ्र ही इसे हेरिटेज घोषित कर दिया जाएगा।
उन्होंने कहा कि देश में 2.64 लाख शहद उत्पादन इकाइयां हैं और भारत में लगभग 30 लाख मधुमक्खी कॉलोनियां हैं। वर्ष 2020-21 के दौरान लगभग 1,25,000 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन किया गया। भारत शहद उत्पादन में विश्व में आठवें स्थान पर है। हिमाचल प्रदेश में लगभग 2365 मधुमक्खी पालक हैं और प्रदेश में 5515.25 मीट्रिक टन शहद का उत्पादन दर्ज किया गया है। उन्होंने कहा कि राज्य में शहद उत्पादन की अत्याधिक मांग है और इस दिशा में विभिन्न किस्में विकसित करने में अनुसंधान सहायक सिद्ध होगा।
बता दें कि मधुमक्खी अनुसंधान केन्द्र नगरोटा बगवां की स्थापना वर्ष 1936 में डॉ. सरदार सिंह के नेतृत्व में की गई थी, जिसका प्रशासनिक नियंत्रण तत्कालीन पंजाब सरकार के कृषि विभाग के अधीन लायलपुर में था, जो अब पाकिस्तान में स्थित है। भारत में यूरोपियन मधुमक्खी के आयात के लिए वर्ष 1930 से 1953 के दौरान विशेष प्रयास किए गए थे, परन्तु समुचित ज्ञान के अभाव में ये प्रयास सफल नहीं हुए। भारत में वर्ष 1960 में एपिस मेलिफेरा को उत्पादित करने में सफलता मिली और इस अनुसंधान केन्द्र में 1964 में इसे सफलतापूर्वक शुरू किया गया।
रविवार का दिन सभी 12 राशियों के लिए मिश्रित परिणाम लेकर आया है। चंद्रमा की…
NDA Victory in Maharashtra: भारतीय जनता पार्टी की जिला उपाध्यक्ष उषा बिरला ने महाराष्ट्र में…
Shimla Prison Fight: शिमला के कैथू जेल में शनिवार को दो कैदियों के बीच कंबल…
Free health camp Sujanpur: प्रयास संस्था के माध्यम से पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद अनुराग…
Blog: Shivanshu Shukla Kangra Airport flight disruptions: देश विदेश के सैलानियों के लिए आकर्षण और…
DigiLocker issues for disabled: मंडी के बाबा भूतनाथ मंदिर परिसर में शनिवार को हिमालयन दिव्यांग…