- बद्दी अस्पताल में डॉक्टर की लापरवाही से चार वर्षीय मासूम की मौत
- रात में अस्पताल पहुंचे परिजनों को डॉक्टर ने बिना इलाज लौटाया
- PGI ले जाते समय रास्ते में बच्चे ने तोड़ा दम।
Medical negligence in Baddi hospital: हिमाचल प्रदेश के बद्दी अस्पताल में चिकित्सक की कथित लापरवाही के कारण चार वर्षीय बच्चे की मौत हो गई। बच्चे के पिता का आरोप है कि रात के समय जब वे अपने बीमार बेटे को अस्पताल लेकर पहुंचे, तो वहां तैनात डॉक्टर ने इलाज करने से इनकार कर दिया और सुबह आने को कहा। परिजन बच्चे को लेकर पूरी रात अस्पताल परिसर में बैठे रहे, लेकिन सुबह तक बच्चे की हालत और बिगड़ गई। इसके बाद जब वे उसे पीजीआई लेकर जा रहे थे, तो रास्ते में ही उसने दम तोड़ दिया।
चंबा जिले के सलूणी निवासी विपिन झाड़माजरी में एक निजी कंपनी में काम करते हैं। उनके चार वर्षीय बेटे पियूष की सोमवार शाम अचानक तबीयत बिगड़ गई। उसे तेज खांसी होने लगी, जिसके बाद विपिन ने मेडिकल स्टोर से दवा खरीदकर दी, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ। बच्चे की हालत बिगड़ती देख, वे देर रात पत्नी और दूसरे बच्चे के साथ बद्दी अस्पताल पहुंचे।
अस्पताल पहुंचने पर उन्हें चौकीदार और सुरक्षा कर्मी नशे की हालत में मिले। चौकीदार उन्हें डॉक्टर के कमरे में ले गया, जहां चिकित्सक आराम कर रहे थे। विपिन का आरोप है कि डॉक्टर ने रजाई से मुंह बाहर निकालकर सिर्फ इतना कहा कि “अभी अस्पताल में कोई दवा उपलब्ध नहीं है, सुबह लेकर आना।” इसके बाद वे बच्चे को लेकर अस्पताल परिसर में ही एक बेंच पर बैठ गए, लेकिन धीरे-धीरे उसकी तबीयत और बिगड़ गई।
बच्चे की हालत ज्यादा खराब होते देख, विपिन ने सुबह के समय एक वाहन की मदद से उसे पीजीआई चंडीगढ़ ले जाने का प्रयास किया, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही बच्चे ने दम तोड़ दिया।
इस पूरे मामले पर डॉक्टर ने सफाई देते हुए कहा कि जब परिजन रात में बच्चे को लेकर आए थे, तब उन्होंने बताया था कि उसे मेडिकल स्टोर से खांसी की दवाई दी गई थी। डॉक्टर के अनुसार, दवा की अधिक मात्रा दिए जाने के कारण बच्चा नशे की हालत में था, इसलिए उन्होंने उसे सुबह तक इंतजार करने को कहा। उनका कहना है कि उस समय बच्चे की स्थिति सामान्य लग रही थी, लेकिन सुबह उसकी हालत बिगड़ गई।
बच्चे की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है और उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। घटना के बाद अस्पताल प्रशासन पर भी सवाल उठ रहे हैं कि आखिरकार इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई।



