<p>एनएचएआइ (नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया) ने कोटरोपी घटनास्थल पर NH को बहाल करने के कार्य के साथ-साथ मंडी-पठानकोट फोरलेन निर्माण को लेकर भी कदमताल शुरू कर दी है। इसके लिए मंडी से लेकर पद्धर तक सॉअल टेस्टिंग (मृदा परीक्षण) का कार्य लगभग पूरा कर लिया गया है। एनएचएआइ द्वारा वीरवार को कोटरोपी घटनास्थल का दौरा करने बाद यहां पर फोरलेन पुल निर्माण को लेकर योजना तैयार कर ली गई है।</p>
<p>कोटरोपी घटनास्थल पर फोरलेन का हाई लेवल ब्रिज तैयार किया जाएगा, जिसका 150 से 200 मीटर लंबा स्पैन होगा। लगभग 50 करोड़ रुपये का बजट हाई लेवल ब्रिज पर खर्च किया जाएगा। शुक्रवार को घटनास्थल पर इसके लिए सॉअल टेस्‍ट‍िंग का कार्य शुरू किया गया, जिसका सैंपल लैब में भेजा जाएगा। सॉअल टेस्ट आने के बाद कोटरोपी घटनास्थल पर फोरलेन के लिए बनने वाले हाई लेवल ब्रिज की आधारशिला रखने की कवायद भी शीघ्र शुरू हो सकती है।</p>
<p>एनएचएआइ के अधिकारियों की मानें तो यहां फोरलेन के लिए फ्लाईओवर की कोई आवश्यकता नहीं है। हाई लेवल ब्रिज तैयार करके पहाड़ी से हो रहे भूस्खलन की समस्या का स्थायी हल हो जाएगा। हालांकि मंडी से लेकर पठानकोट तक फोरलेन का यह सबसे बड़ा हाई लेवल ब्रिज होगा। इसके अलावा एनएचएआइ ने यहां फोरलेन की एलाइनमेंट को भी फाइनल करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। पद्धर क्षेत्र में फोरलेन मैप‍िंग का कार्य इन दिनों अंतिम चरण पर है।</p>
<p>कोटरोपी में धंसा पठानकोट-मंडी एनएच, वाहनों की आवाजाही पर पूर्ण रोक</p>
<p>पठानकोट-मंडी एनएच के फोरलेन बनने से दोनों स्टेशनों की दूरी करीब 178 किलोमीटर रह जाएगी, जबकि अभी दोनों स्टेशनों की बीच की दूरी 208 किलोमीटर है। एनएचएआइ ने सर्वे में यह भी साफ किया है कि फोरलेन निर्माण के दौरान मुख्य बाजारों और घरों को कम से कम प्रभावित किया जाएगा। उपायुक्त मंडी ऋग्वेद ठाकुर ने कहा कि फोरलेन मैप‍िंग और सॉअल टेस्‍ट‍िंग का काम चला हुआ है। फोरलेन के निर्माण के लिए दोनों ओर से अधिकतम 45 मीटर का क्षेत्र लिया जाएगा। अन्य सभी क्षेत्रों में 35 मीटर क्षेत्र रहेगा, जबकि पपरोला व बैजनाथ में 40 से 45 मीटर का क्षेत्र लिया जाएगा। इसके अलावा सड़क के दोनों ओर पांच मीटर क्षेत्र में किसी भी तरह का निर्माण नहीं हो पाएगा। यदि किसी की निजी भूमि है तो वह केवल उसे पार्किंग के लिए प्रयोग कर सकता है।</p>
<p>कोटरोपी में घटनास्थल पर फोरलेन का हाई लेवल ब्रिज तैयार किया जाएगा, जिसका 150 से 200 मीटर लंबा स्पैन होगा। इसके लिए एस्टिमेट प्रक्रिया शुरू कर दी है। यहां फ्लाईओवर की कोई आवश्यकता नहीं है। हाई लेवल ब्रिज तैयार कर पहाड़ी से भूस्खलन की समस्या का स्थायी हल हो जाएगा, जिसके लिए सॉअल टेस्ट की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। -ई. सतीश नाग, ज्वाइंट एडवाइजर टेक्निकल, एनएचएआइ।</p>
<p>कोटरोपी में हुआ था बड़ा हादसा</p>
<p>कोटरोपी में अगस्‍त 2017 में बड़ा हादसा हुआ था। यहां आधी रात को पहाड़ का बड़ा ह‍िस्‍सा धंस जाने से दो बसें पहाड़ के मलबे में समां गई थी। इससे 45 लोगों की मौत हो गई थी।</p>
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